ओडिशा राज्य परिचय :
यह राज्य भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य है, जो संस्कृति मे पर्याप्त एक खूबसूरत राज्य है। यहा पर 62 समुदाय के लोग रहते है। और यहा पर हर समुदाय की अपनी संस्कृति और पहचान पाई जाती है। ओडिशा की प्रमुख भाषा उड़िया है, इस के अलावा अलग-अलग भाषाएँ भी बोली जाती है। ओड़ीशा मे हिन्दी और अँग्रेजी भी ज़्यादातर मात्रा मे बोली जाती है। जनसंख्या के अनुसार भारत के राज्य ओड़ीशा को भारत मे 11वां स्थान दिया गया है।
इस राज्य का सबसे मशहूर नृत्य ओड़ीशि है, जो भारत मे ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया भर मे मशहूर है। ओड़ीशि नृत्य को सब से पुराण नृत्य भी कहा जाता है। जिसे सीख ने के लिए दुनिया भर के लोग ओडिशा राज्य मे आते है। ओडिशा राज्य खेती और एतिहासिक स्मारकों के लिए भी पहचाना जाता है।
राज्य मे सब से बड़ा सिमलीपान राष्ट्रीय उद्धान है। ओडिशा मे सब से बड़ी नदी महा नदी है, और यह नदी भारत की छठी सब से बड़ी नदी है।
ओडिशा राज्य के समान्य तथ्य :
- स्थापना दिवस : 1 अप्रैल 1936
- राजधानी : भुवनेश्वर
- कुल क्षेत्रफल : 155,707 वर्ग किलोमीटर
- कुल जिले : 30
- बड़ा शहर : भुवनेश्वर
- प्रथम मुख्य मंत्री : हरेकृष्ण मेहताब
- राजकीय भाषा : ओडिया
- राजकीय पक्षी : इंडियन रोलर
- राजकीय पशु : सांबर हिरण
- राजकीय पेड़ : इंडियन फिग ट्री (भारतीय अंजीर का पेड़)
- राजकीय फूल : अशोका ट्री
- राज्य गान : बंदे उत्कल जननी
- मध्यप्रदेश की सीमा : पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश।
- प्रमुख नदी : महानदी, ब्राह्मणी और बैरतनी
- जनसंख्या : 4,19,74,218 ( 2011 की जनगणना के आधार पर)
- साक्षरता दर : 72.9% (2011 की जनगणना केआधार पर)
- प्रमुख कृषि उद्योग : गेहूं, नारियल, मक्का, दालेंऔर फलियां, तिलहन, ज्वार, गन्ना, मसले आदि।
- पर्यटक स्थल : कोणार्क मंदिर, चिल्का झील, पाराद्वीप, माहिरमाथा, गुरुमहिसानी, पूरी, देवो गली, लिंगराज मंदिर (भुवनेश्वर) आदि।
- मुख्य नृत्य : ओड़ीशि
ओडिशा राज्य का इतिहास:
प्राचीन समय मे ओडिशा राज्य को कलिंग नाम से जाना जाता था। जिसे मौर्य राजा अशोक के द्वारा आक्रमण करके लूटा गया था।
प्राचीन कल से मध्यकाल तक ओडिशा राज्य को कलिंग, उत्कल, उत्करात, ओड्रदेश, ओड्र, ओड़, ओद्रराष्ट्र, दक्षिण कोशल, छेदि आदि नामो से जाना जाता था। लेकिन इन सभी नामो मे से कोई भी नाम पूर्ण ओडिशा को नहीं दर्शाता था। यह सभी नाम समय-समय पर ओडिशा राज्य के कुछ हिस्से को ही दर्शाता था।
ओडिशा राज्य को उत्कल के नाम से भी जाना जाता है, जिसका उल्लेख राष्ट्रीय गान मे भी देखने को मिलता है। ओडिशा का स्थापना दिवस यानि 1 अप्रैल को ‘उत्कल दिवस’ के रूप मे मनाया जाता है।
सन 1607 मे अकबर का पुत्र जहाँगीर का शासन रहा था। जिसने ओडिशा को प्रांतो मे बाँट दिया, और उसकी राजधानी कटक राखी गई।
सन 1751 मे ओडिशा मे मराठा राज का आरंभ हुआ। और यह मराठा राज सन 1803 तक चला। इस के बाद ब्रिटिश सेना ने उस पर अधिकार कर दिया। मराठा राज के दौरान ओड़ीशा मे कई तरह के हिंसा, कुप्रशासन, अव्यवस्था आदि से यह राज्य घिरा रहा।
मराठा राज मे ओडिशा राज्य को धार्मिक संस्थानो मे प्रगति हुई। जिन मे पर्यटक और तीर्थ स्थानो को आकर्षित बनाया गया।
18 वीं शताब्दी मे ईस्ट इंडिया कंपनी ने सम्पूर्ण भारत पर अधिकार कर लिया था। लेकिन 20 शादी के मध्य मे अंग्रेज़ो के निर्गमन से भारत देश आजाद हुआ , और पूरे भारत मे कई राज्यो का निर्माण हुआ। जिसमे मे से भारत के पूर्व मे स्थित ओडिशा को भी एक राज्य का दर्जा दिया गया।
वर्तमान नाम ओडिशा से पहले इस राज्य को मध्य काल से उड़ीसा नाम से जाना जाता था। जिसे आधिकारिक रूप से 4 नवंबर 2011 को ओडिशा नाम मे परिवर्तित कर दिया गया।
मध्य काल और ब्रिटिश काल मे ओडिशा की राजधानी कटक थी। फिर सन 1948 मे कटक से बदल कर भुवनेश्वर ओड़ीशा की राजधानी कर दिया गया।
संविधान के 113 वें संशोधन के अनुसार उड़ीसा का नाम बदल कर ओडिशा रखा गया और उड़िया का नाम बदल कर ओड़िया कर दिया गया।
ओडिशा का भूगोल :
ओडिशा का उत्तरी अक्षांश 17०49” से 22०34” तक फैला हुआ है, और पूर्वी देशांतर मे 81०27” से 87०29”तक फैला हुआ राज्य है। ओडिशा राज्य की सीमा मे पूर्व मे बंगाल की खाड़ी, उत्तर मे झारखंड, पश्चिम मे छत्तीसगढ़, उत्तर-पूर्व मे पश्चिम बंगाल और दक्षिण मे आंध्र प्रदेश स्थित है।
ओडिशा राज्य का भू-भाग तकरीबन 32% जंगलो से घिरा पड़ा है। लेकिन बढ़ती आबादी के कारण जंगलों की संख्या मे कमी आ रही है। ओडिशा राज्य का तटीय क्षेत्र देखा जाए तो लगभग 450 किलोमीटर तक है, और इस क्षेत्र मे यह 155,707 वर्ग किलोमीटर तक आगे बढ़ रहा है। यह भारत देश के कुल 4.87% क्षेत्र के बराबर है।
भौगोलिक क्षेत्रफल के आधार पर ओडिशा भारत मे 8 वें स्थान पर आता है।
ओडिशा राज्य की सुंदरता :
ओडिशा कुदरती रूप से एक सुंदर राज्य है, और इस राज्य को ज्यादा सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए यहां के मंदिर और यहां की झील इस राज्य की सुंदरता में चार चांद लगा देती है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर :
ओडिशा के पूरी जिले मे स्थित सूर्य मंदिर है जहा पर सूर्य की सबसे पहली किरण इस मंदिर मे आति है। जिसे गंग वंशीय नरसिंह देव वर्मन द्वारा बनाया गया था।
इस मंदिर को Black Pogonda के नाम से भी जाना जाता है। इस के अलावा यह मंदिर भारत का प्रथम मंदिर है जो 100% सोलर एनर्जि से चलता है।
चिल्का झील :
ओडिशा के पूरी एवं खोरदा जिलो मे स्थित एक झील है जो दोहरे स्पीट के कारण बनी और यह भारत की सब से बड़ी लैगून है। इस मे दया तथा भार्गवी नदी आंतरिक प्रवाह प्रणाली बनाती है।
चिल्का झील भारत मे खारे पानी की सब से बड़ी झील है।
पारा द्वीप बन्दरगाह :
पारा द्वीप ओडिशा का एक गहरे पानी का प्रकृतिक बन्दरगाह है। जिसे सन 1982 मे बना ओडिशा के जगतसिंह पुर जिले मे पूर्वी तटीय मैदान का एक बृहद पत्तन जहां से तलचेर का कोयला निर्यात किया जाता है। नौरू गणतन्त्र के सहयोग से यहां एक फास्फेट उर्वरक सन्यत्र लगाया गया है।
देवो गली :
ओडिशा की पूर्वी घाट मे स्थित सब से ऊंची चोटी है, जिसकी ऊंचाई 1672 मीटर की है।
पूरी :
ओडिशा के तट पर स्थित एक धार्मिक स्थल है, जहां पर जगन्नाथ पूरी के शंकराचर्या का स्थल है और पूरी का सब से प्रसिद्ध बिच है। यहाँ पर स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर चार धामो मे से एक है।
हीराकुंड जलाशय (हीराकुंड बांध):
ओडिशा राज्य के संबल पुर, बारगढ़ एवं झरसुगुड़ा जिलों की सीमा पर बनाया गया एक जलाशय एवं बांध है जो विश्व का चौथा सब से लंबा बांध है। जिसकी लंबाई लगभग 56 किलोमीटर की है। और यह बांध महा नदी पर बनाया गया है।