झारखंड के सामान्य तथ्य :
- स्थापना दिवस : 15 नवंबर 2000
- राजधानी : राँची
- कुल क्षेत्रफल : 79,714 वर्ग किलोमीटर
- कुल जिले : 24
- सब से बड़ा शहर : जमसेदपुर
- प्रथम मुख्य मंत्री : बाबूलाल मरान्डी
- राजकीय भाषा : हिन्दी
- राजकीय पक्षी : कोयल
- राजकीय पशु : हाथी
- राजकीय पेड़ : साल (सखुआ)
- राजकीय फूल : पलाश
- झारखंड का राजकीय चिन्ह : चार ( j ) अक्षरो के बीच अशोक चक्र
- झारखंड की सीमा : बिहार, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, छतीसगढ़
- प्रमुख नदी : दामोदर नदी, स्वर्ण रेखा नदी, बराकर नदी, उत्तरी कोयल नदी, दक्षिणी कोयल नदी, मयूराक्षी नदी, सोन नदी, ब्राह्मणी नदी, सकरी नदी, अजय नदी, फल्गु नदी
- जनसंख्या : 3,29,88,134 (2011 की जनगणना के आधार पर)
- साक्षरता दर : 64.4% (2011 की जनगणना के आधार पर)
- प्रमुख कृषि उद्योग : ज्वार, बाजरा, धान, गन्ना, मक्का, मूँगफली, गेहु, चना, तिलहन
- पर्यटक स्थल : हुंडरु जलप्रपात, लोध जलप्रपात, दशम जलप्रपात, पंचघाघ जलप्रपात, देवघर वैधनाथ मंदिर, बासुकीनाथ मंदिर, पलामू किला, दलमा अभयारण्य, हजारीबाग राष्ट्रीय अभयारण्य, बेतला राष्ट्रीय उद्धान, तोपचांची झील, गौतम धारा जोन्हा आदि।
- लोक नृत्य: पाईका, छऊ, दमकच, झूमरी, जदुर, अगनी, चौकारा, नाचनी, नटुआ, महता
झारखंड का इतिहास :
झारखंड मे मनुष्यो के रहने का प्रमाण पाषाण काल से आरंभ होने का दावा किया गया है। झारखंड का सब से प्राचीन नागवंश है।
झारखंड के इतिहास को तीन भागो मे विभाजित किया गया है। 1. प्राचीन इतिहास, 2. मध्य कालीन इतिहास, 3. आधुनिक इतिहास।
प्राचीन इतिहास :
झारखंड दो शब्दो से बना है, झार और खंड, झार का अर्थ वन और खण्ड का अर्थ भू-भाग होता है। अर्थात ‘वन वाले भूभाग को ही झारखंड कहते है’।
झारखंड के इतिहास की शुरुआत वैदिक युग से हुई मानी जाती है। झारखंड को कई पुरानो मे अलग-अलग नाम से जाना जाता था, जैसे की विष्णु पुराण मे मुंड नाम से जाना था। वायु पुराण मे मुरण्ड नाम से, महाभारत मे पशु भूमि या पुंडरिक भूमि के नाम से जाना जाता था। भागवत पुराण मे किक्कट प्रदेश, ऋग्वेद मे किकट प्रदेश, अथर्व वेद मे व्रात्य इस प्रकार झारखंड को अलग-अलग काल मे और साहित्य मे कई नामो से पहचाना जाता था।
झारखंड शब्द का प्रथम उल्लेख 13वीं शताब्दी के एक ताम्रपत्र मे मिलता है। मलिक मोहम्मद जायसी के ग्रंथ पद्मावत मे झारखंड शब्द का उल्लेख मिलता है।
प्राचीन राजवंश तथा मुंडा राज ने ही सर्व प्रथम राज्य निर्माण की प्रक्रिया की थी। इस निर्माण का श्रेय ऋष मुंडा और रीता मुंडा को जाता है।
मुंडा राज के बाद नागवंशो का आगमन हुआ था, इस की स्थापन फनिमुकुट राय (जिसे आदि पुरुष कहा जाता था) ने की थी। इन नागवंशों ने ही भीम सागर का निर्माण किया था और नागवंशी राजा ने ही सर्वप्रथम नवरत्न नाम के पंचमजिला का निर्माण दोयसा मे करवाया था। जब अंग्रेज़ो का आगमन हुआ तब द्विपनाथ शाह राज करते थे, जो नागवंश के राजा थे।
चेरो वंश की स्थापना पलामू क्षेत्र मे भागवत राय ने की थी। औरंगजेब के शासन काल मे मेदिनी राय राजा थे जो चेरो वंश के ही थे। मेदिनी राय राजा का शासन स्वर्ण युग कहा जाता था। चँदेरी के युद्ध के दौरान 1528 ई. मे मेदिनी राय को हार का सामना करना पड़ा था।
मध्य कालीन इतिहास :
महेंद्र पाल के शिलालेख इटखोरी से प्राप्त हुए है। 12वीं शताब्दी मे पहली बार उड़ीसा के राजा नरसिह दूसरे ने खुद को झारखंड के राजा होने की घोषणा की। उस के बाद 13वीं शताब्दी मे राजा जयसिंह देव ने झारखंड के राजा होने का घोषित किया था।
1310 ई. मे अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति छज्जु मलिक को नागवंशी राज्य अपने अधिकार मे करने के लिए भेजा था। लेकिन हजारी बाग के सतगाव को फिरोज़शाह तुगलक ने खुद जीत कर अपनी राजधानी बना दी थी।
1585 ई. मे अकबर ने झारखंड को अपना करदाता प्रदेश बनाया था। और इसी वर्ष मे अकबर की सेना से नागवंशी राजा मधुकर शाह को युद्ध मे पराजित किया।
राजा मानसिंह ने 1592 ई. मे राजमहल को बिहार और बंगाल को राजधानी बनाई। औरंगजेब जी मृत्यु के बाद झारखंड मुगक शासन के आजाद हो गया।
आधुनिक युग का इतिहास :
आधुनिक युग मे सन 1765 के बाद यहा पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रभाव रहा था। ब्रिटीशो के आधीन यहा पे अत्याचार ज्यादा बढ़ गया था, उस समय झारखंड मे अत्याचार और ब्रिटीशो के खिलाफ विद्रोह किए गए, जो इस प्रकार है।
चुआड़ विद्रोह यह विद्रोह सन 1769 से 1798 तक चला था। यह विरभूमि मे दुर्जन सिह के नेतृत्व मे किया गया विद्रोह था।
पहाड़िया विद्रोह इस विद्रोह का समय सन 1772 से 1782 तक का रहा था। इसके नेतृत्वकर्ता रमन अहाड़ी थे।
तमाड़ विद्रोह इस का समय सन 1782 से 1807 तक चला था।
तिलका आंदोलन यह आंदोलन भागलपुर मे सन 1783 से 1785 तक चला था। इस के नेतृत्वकर्ता तिलका माझी थे। इस आंदोलन मे तिलका माझी को फांसी दी गई थी। सन 1991 मे तिलका माझी के नाम पर भागलपुर विश्वविद्यालय का नाम रखा गया था।
चेरो विद्रोह इस की शुरुआत सन 1800 से हुई थी और सन 1802 तक यह विद्रोह चला था। यह विद्रोह भुखन सिंह के नेतृत्व मे पलामू मे किया गया था।
कॉल विद्रोह इस का समय सन 1831 से 1832 तक का रहा था।
संथाल विद्रोह इस विद्रोह की शुरुआत1855 मे भगनाडीह मे हुई थी। यह विद्रोह सिद्धू कान्हु के नेतृत्व मे किया गया था।
खरवार आंदोलन यह आंदोलन सन 1874 मे संथाल परगना क्षेत्र मे हुआ था। इस के नेतृत्वकर्ता भागीरथ माझी थे।
मुंडा विद्रोह इस विद्रोह का समय सन 1895 से 1900 तक का है। यह विद्रोह झारखंड के खूंटी नामक स्थान पर बिरसा मुंडा के नेतृत्वमे किया गया था।
इस प्रकार झारखंड मे कई विद्रोह किए गए थे, लेकिनब्रिटिश सेना के द्वारा कई विद्रोहों को निष्फल कर दिया था। महात्मा गांधीजी ने भी आजादी के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन का आरंभ किया था।
कई सालो की लड़ाई के बाद 15 नवंबर सन 2000 को झारखंड को एक राज्य का दर्जा मिला और भारत देश के 28वें प्रांत के रूप मे स्थापित किया गया।
झारखंड का भूगोल :
झारखंड की उत्तर से दक्षिण तक की लंबाई 380 किलोमीटर है और पूर्व से पश्चिम मे 463 किलोमीटर है। झारखंड की सीमा पाँच राज्यो से मिलती है जो इस प्रकार है, उत्तर मे बिहार, दक्षिण मे उड़ीसा, पूरब मे पश्चिम बंगाल, पश्चिम मे उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ स्थित है।
पूरे विश्व मे देखा जाए तो झारखंड उत्तरी गोलार्ध मे और भारत देश के पूर्वी भाग मे स्थित एक राज्य है। झारखंड राज्य का उत्तरी अक्षांश 21०58 से 25०19 तक फेला हुआ है और पूर्वी देशांतर 83०19 से 87०57 तक फेला हुआ है।
झारखंड का कुल क्षेत्रफल 79,714 वर्ग किलोमीटर है और इस के आधार पर यह राज्य भारत देश का 16वां राज्य है। और जन संख्या के आधार पर यह राज्य 14वां स्थान रखता है।
झारखंड राज्य छोटेनागपुर का पठार और संथाल परगना के वन क्षेत्र से बना एक राज्य है। इस राज्य का ज़्यादातर हिस्सा वन से भरा है, जहा पर बाघो और हाथियो की मात्रा सब से ज्यादा है।
पाट क्षेत्र छोटानागपुर का सब से ऊंचा स्थान है, यहा पर वन की मात्रा सब से अधिक है और यहा पर आदिम जन संख्या सब से अधिक देखने को मिलती है।
झारखंड की सब से ऊंची चोटी पारसनाथ है, जिसे सम्मेद शिखर भी कहते है।
यहा की जलवायु उष्णकटिबंधीय जलवायु है।
झारखंड की नदियाँ :
झारखंड मे सोन नदी को छोड़ कर बाकी की सभी नदी बरसाती नदी है। यहा पर गर्मी की मौसम मे सभी नदियां सुख जाती है। सिर्फ सोन नदी ही गर्मी की मौसम मे भी प्रवाहित होती रहती है। इस के अलावा भी यहा पर बहुत सारी महत्व की नदी है जो निम्न लिखित है।
दामोदर नदी जो झारखंड की सब से लंबी एवं सब से बड़ी नदी है। इस की लंबाई 592 किलोमीटर है, और झारखंड मे इस की लंबाई 290 किलोमीटर है। इस नदी का उद्गम स्थान लातेहार जो छोटा नागपुर का पठार से यह निकलती है। दामोदर नदी को देव नदी एवं बंगाल के शोक के नाम से भी जाना जाता है। इस नदी की सहायक नदी मे जमुनिया, बोकारो, बराकर, कोनार और कतरी है। यह नदी झारखंड की सब से प्रदूषित नदी भी है।
स्वर्ण रेखा नदी की लंबाई 395 किलोमीटर है, यह नदी बंगाल की खाड़ी मे स्वतंत्र रूप से गिरने वाली एक मात्र झारखंड की नदी है। इस नदी का उद्गम स्थान नगड़ी रांची है। स्वर्ण रेखा नदी की रेत मे से सोना पाया जाता है। इस नदी की सहयाक नदी मे कांची, जमरु, खरकई, काकरी है। यह नदी दक्षिण-पूर्व की ओर प्रवाहित होती है।
बराकर नदी की लंबाई 225 किलोमीटर है। इस नदी का उदगम स्थान पदमा हजारीबाग से निकलती है। इस की सहायक नदियों मे उसरी और बरसोती है। इस नदी पर दामोदर घाटी परियोजना के अंतर्गत डैम बनाकर जल का निर्माण किया गया है।
झारखंड की अर्थ व्यवस्था मुख्यरूप से वन संपदा और खनिज से निर्देशित है। यहा पर यूरेनियम, लोहा, ग्रेफ़ाइट, बाक्साइड़, कोइला, चुना-पत्थर, सेलिमाइट आदि और उस के अलावा भी दूसरी खनिज पदार्थ पाये जाते है।