अंतरिक्ष विज्ञान में सिद्धि हासिल करने वाली भारतीय महिला वैज्ञानिक
Indian Women Scientist Achievements in space science
1 डॉ. टेसी थॉमस Dr. Tessy Thomas मिसाइल प्रोजेक्ट संचालन करनेवाली भारत की प्रथम महिला वैज्ञानिक
भारत के केरला मे अलपपुजहा, मे साल 1963 मे जन्म हुआ था। वह भारतीय वैज्ञानिक और एरोनोटिकल सिस्टम्स के जनरल डिरेक्टर है। वह “डिफ़ेन्स रीसर्च और डेवलोपमेंट ओर्गानाईजेसन” DRDO (डी.आर.डी.ओ.) मे अग्नि 4 मिसाइल Agni-IV missile की फोरमर प्रोजेक्ट डिरेक्टर रेह चुकी है।
इस तरह वह भारत देश की पहली महिला वैज्ञानिक है जिसने मिसाइल प्रोजेक्ट (Missile Project) मे प्रमुख का नेतृत्व किया। जब अग्नि 5 Agni-V का टेस्टिंग सफल रहा तब से भारत देश के लोगो को उनकी पहचान हुई।
उन्होने गवरमेंट एंजिन्यरिंग कॉलेज थ्रिस्सूर मे बी.टेक. की डिग्री ली, और एम. टेक. मे गाइडेड मिसाइल विषय मे इंस्टीट्यूट ऑफ आर्मामेंट टेकनोलोजी, पुणे (Defense Institute of Advanced Technology) से डिग्री ली। उन्होने मिसाइल गाइडंस मे पी.एच.डी. और साथ ही ऑपरेशन मेनेजमेंट मे एम.बी.ए. किया।
2 गीता वरदान Dr. Geetha Varadan साइबर सिक्यूरिटी के एक्सपर्ट
अग्नि 5 मिसाइल Agni-V missile के नेतृत्वमे उन्होने टेसी थॉमस के साथ काम किया। 2006 मे जब डॉ. अब्दुल कलाम Dr. Abdul Kalam ने जिन चार महिला वैज्ञानिको की प्रशंषा की थी उन मे से एक डॉ. गीता वर्दन Dr. Geetha Varadan है।
उनका काम भी मिसाइल टेक्नोलोजी के साथ जुड़ा हुआ है। अंत मे वह इसरो की एडवांस डेटा प्रोसेसिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख थे, इनके बाद उन्होने वहा से सेवनिवृत लिया था।
मिसाइल के इलावा इनहोने रिमोट सेंसिंग टेक्नोलॉजी (Remote sensing technology) मे भी महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होने एंजिन्यरिंग कंट्रोल मे मास्टर की डिग्री प्राप्त की है।
डॉ. गीता वर्दन Dr. Geetha Varadan ने 1976 मे रेडार डेवलोपमेंट से उनकी संचालन की शुरुआत की थी। रियल टाइम सैटेलाइट डेटा प्रोसेसिंग सिस्टम Real Time Satellite Data Processing System का विकास करने मे उनकी भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है।
सेवानिवृत्त के बाद वह भविष्य के लिया आवश्यक टेक्नोलोजी साइबर सिक्यूरिटी और क्लाउड कोम्प्यूटिंग मे काम कर रही है। उन्होने रिमोट सेन्सिंग उपग्रह के संचालन मे बोहोत सारे संशोधन पत्र प्रस्तुत किए थे।
3 डॉ. रीतू करिधाल Dr. Ritu karighal रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया
रितु करिधाल श्रीवास्तव एक भारतीय वैज्ञानिक के साथ साथ इसरो Indian Space Research Organisation (भारतीय अन्तरिक्ष अनुसाधन संगठन) ISRO मे काम करती है। उनका जन्म भारत के उत्तर प्रदेश के लखनऊ मे हुआ। उनका जन्म मध्यम वर्गीय परिवार मे हुआ। उनके 2 भाई और 2 बहने है।
डॉ.रितु करिधाल Dr. Ritu karighal ने साल 1997 से इसरो मे काम चालू किया। मंगल मिशन Mangal Mission के दौरान रितु करिधाल को डेप्युटी ओपरेशन डिरेक्टर का दायित्व सोपा गया था। मिशन मंगल के डिरेक्टर रितु करिधाल को “रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया” Rocket women of India के उपनाम से भी जाना जाता है।
उनका काम अंतरिक्ष के स्पेसक्राफ्ट अपने आप कैसे निर्णय ले पाये, उस प्रकार की सिस्टम बनाने का था। मंगलयान भारत देश के लिए बड़ी सफलता है, जिसमे डॉ. रितु करिधाल Dr. Ritu karighal का महत्वपूर्ण योगदान है।
2007 मे तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम के हाथो से डॉ. रितु करिधाल “यंग सायंटिस्ट का अवॉर्ड” भी वह ले चुकी है। चंद्रयान -2 (Chandrayan-2) मे भी वह सुपरवाइज़र की तौर पर रह चुकी है।
4 डॉ. मुथय्या वनिथा Dr. Muthayya vanitha चंद्रयान प्रोजेक्ट डिरेक्टर
मुथय्या वनिथा Dr. Muthayya vanitha भारतीय इलेक्ट्रोनिक सिस्टम इंजिनयर की तौर पर उपग्रहो पर परियोजनाओ का नेतृत्व भारतीय अन्तरिक्ष अनुसाधन संगठन ISRO (इसरो) मे किया। इस समय चंद्रयान-2 (chandrayan-2) लुनार मिशन ऑफ इसरो मे वह प्रोजेक्ट डिरेक्टर की जगह पर है।
कार्टोसेट-1, ओशनसे-2, मेघा ट्रोपोक्स, जैसे उपग्रह के निर्माण कार्य मे उनका महत्व का योगदान है। इस तरह मुथय्या वनिथा को एस्टॉनोमिकल सोसायटी ऑफ इंडिया Astronomical Society of India ने सर्वश्रेष्ठ महिला वैज्ञानिक का पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
मुथय्या वनिथा इसरो के अंदर बोहोत सारे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम कर चुकी है। विश्व मे प्रसिध्ध होने वाली पत्रिका “नेचर” ने साल 2019 मे एक लेख लिखा था, जिसमे दुनिया में सर्वोत्तम सबसे अच्छी 5 महिला वैज्ञानिको मे से एक “मुथय्या वनिथा” को भी सामील किया था।