मातृ दिवस परिचय :
जिसके प्रेम की कोई सीमा नहीं होती, जिसे कोई उपमा नहीं दी जा सकती है, जिसे किसी परिभाषा से नहीं बंधा जाता, और जो अपने स्वयं के शरीर के माध्यम से बच्चे का सर्जन और पोषण करती है, जिसे हम “माँ” का दर्जा देते है। इस श्रुष्टि पर के सभी सर्जन का आधार भी हमारी माँ ही है।
मातृ दिवस कब मनाया जाता है ?
पूरी दुनिया मे मातृ दिवस मनाया जाता है। यह दिवस भारत देश मे कब से मनाया जाने लगा वह बात कोई नहीं जानता। अधिकांश रूप से देखा जाए तो ज़्यादातर अमरीका, कनाडा और भारत जैसे देशो मे मई माह के दूसरे रविवार के दिन मातृ दिवस मनाया जाता है।
दूसरे कई देशो मे तो यह मातृ दिवस को 8 मार्च को मनाया जाता है, यह बात हम सब जान ते है की उस दिन को हम “अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस” के रूप मे मानते आ रहे है।
अमरीका मे पहली बार मातृ दिवस जूलिया वार्ड होर्वे द्वारा साल 1870 मे मनाया गया था।
मातृ दिवस क्यौ मनाया जाता है ?
हमारी जो माँ है उसे हम जितना भी सन्मान देंगे, कम है। क्यौं की माँ ने हमे अपने कोख मे गर्भावस्था के दौरान 9 महीनो तक जो पालन-पोषण दिया, और बादमे प्रसूति के दौरान सबसे ज्यादा कठिनाई सहन करके हमे जन्म देने वाली हमारी माँ, जन्म देने के बाद से लेकर जब तक हम जिंदा है, तब तक हमारी माँ हमारी सेवा करती है, और हमे पता भी नहीं चलता।
हम कितने भी बड़े क्यौ न हो जाए, हमारी माँ के लिए तो हम बच्चे ही रहेंगे। सभी माँ का अपने बच्चो के साथ ठंडा या गरम रिश्ता तो होता ही है, लेकिन माँ कभी भी हमारे ऊपर गुस्सा नहीं होती।
बच्चे जब बड़े हो जाते है तब अपनी ज़िंदगी मे खो जाते है, हर एक बात पे माँ की उंगली पकड़ कर या सभी दुखो के समय माँ के आचल मे छुप जाने वाले बच्चे को, जब आज अपनी माँ एक टोंकने वाली व्यक्ति जैसी लगती है।
उसे माँ की सलाह पुराने खयालात वाली लगती है। जब बच्चे माँ को कहते है की तुम पुराने खयालात वाली हो, तुम आजके इस मोर्डन जमाने की बात को नहीं समजोगी, तब माँ के दिल पर क्या गूज़रती होगी ?
माँ कभी किसी बच्चे की दुश्मन नहीं होती, बस उसे हमेशा एक डर सा लगा रहता है की मेरा बच्चा कही गलत रास्ते पर तो नहीं जा रहा, उस पर कोई मुसीबत तो नहीं आ जाए।
जब कभी हम हमारी माँ से कुछ भी गलत बोलकर घर से बाहर चले जाते है, तब माँ को हमारे ऊपर कभी भी गुस्सा नहीं आता, हम शाम को जब तक घर नहीं आ जाते तब तक वो हमारा इंतज़ार करती रहती है, उसे हमारी फिक्र होती है, क्यूँ की वह हमारी “माँ” है।
हमे मातृ दिवस किस तरह मनाना चाहिए ?
माँ के लिए जितना कहा जाए उतना कम है। माँ के इस प्यार को समजने की हमे जरूरत है, क्योकि माँ अपने बच्चे पर अपनी पूरी ज़िंदगी लगा देती है, माँ वो है जो हमारी हजारो गलतिया माफ कर देती है। इस लिए हमे अपनी माँ को कभी भी दुखी नहीं करना चाहिए।
हमे माँ को समज़ना चाहिए, उसे कभी अपमानित नहीं करना चाहिए। क्यौन की माँ वह इंसान है जो हमार सारे दुख और दर्द मे हमारे साथ खड़ी रहती है, हमे कभी अकेला महसूस नहीं होने देती।
इस लिए हमे पूरे साल मे एक ही दिन मातृ दिवस नहीं मनाना चाहिए, हमे हर दिन हमारी माँ को प्यार देकर उसे यह एहसास दिलाना चाहिए की, वह अकेली नहीं है, हम भी आपके साथ है। हम भी आपसे उतना ही प्यार करते है जितना आप हमे करती है।
जिस तरह पानी अपना पूरा जीवन देकर, एक पैड को बड़ा करता है, इसी लिए शायद पानी कभी लकड़ी को डूबने नहीं देती। माँ का भी कुछ ऐसा ही है।
हमारे जीवन मे अगर कोई सबसे सुंदर चीज़ है तो वो हमारी “माँ का प्यार है”।