महिला दिवस महिलाओ का सन्मान करने हेतु मनाया जाता है।
महिला होना बहुत ही गौरव की बात है। महिला दिवस के दिन सारे जगत मे महिलाओ को अभिनंदन देने का दिन है।
इस दिन महिलाओ को फूल, तोहफे आदि देकर उनका सन्मान किया जाता है। आंतराष्ट्रीय महिला दिवस विशेष रूप से महिलाओ को समर्पित है, जो महिलाओ की शसक्तिकरण को बढ़ावा देती है।
महिलाओं का जीवन मे महत्व :
इस दुनियामे महिलाओ के बिना जीवन संभव नहीं है। सभी के जीवन मे महिलाओ का होना जरूरी है। महिलाओ की तुलना देवी से की जाती है।
जब भी किसी के घर मे बेटी का जन्म होता है तो लक्ष्मी का जन्म हुआ यह कहा जाता है। यह महिलाओ के लिए बहुत सम्मानित है। जब लड़की का जन्म होता है उसे विरासत मे महिला की विशेसताए मिलती है।
महिलाओ मे सबसे ज्यादा प्यार, स्नेह, देखभाल की विशेस भावनाए होती है वह ममता की मूरत होती है। सबसे पहले हमे अपनी “माँ” को मान-सम्मान देना चाहिए।
क्यूंकी हमे अपने घर से ही महिलाओ को मान देना सीखना चाहिए । हम अपने घरोमे माँ, बहन, पत्नी को सन्मान देना सीखेंगे तभी तो बाहर किसी महिला को बुरी नजर से नहीं देखेंगे।
सबसे उचा माँ का ही स्तर है। क्यूंकी भगवान को भी माने ही जन्म दिया है। जैसे की भगवान कृष्ण (माता देवकी), गणेशजी – कार्तिकेय (माता पार्वती)। इसीलिए तो कहा गया हे की नारी तू नारायणी।
पूरी दुनिया मे महिलाए पुरुषो के कंधे से कंधा मिला कर चल रही है। आज तो भारत मे भी महिलाए आर्थिक रूप से अपने पति को मदद करती है, साथ मे अपने परिवार को भी संभालती है।
महिलाए कमाने के साथ-साथ माता की भूमिका भी अदा करती है। अपने बच्चो को शिक्षित बनाने के साथ-साथ संस्कार भी देती है।
महिलाए अपने ससुराल के साथ-साथ अपने मायके की ज़िम्मेदारी भी निभाती है। महिलाए एक ही जीवन मे बेटी, पत्नी, माता, दादी, नानी जैसे कई अवतार धारण करती है।
कुछ समय पहले घर की चोखट पार न करनेवाली महिला आज मल्टीनेशनल कंपनी संभाल रही है। अब तो भारत मे भी महिलाए रीक्षा, बस ओर रेलवे ट्रेन, हवाईजहाज से लेकर स्पेस शटल तक पहुच गई है। यह खुशी की बात है की 21 वी सदी की महिला खुद अपने पैरो पर खड़ी है।
महिला दिवस क्यौ मनाया जाता है ?
8, मार्च, 1908 से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की प्रथा है। जब न्यूयोर्क शहर मे अपने अधिकार ओर मान सम्मान के लिए 1500 महिला ने प्रदर्शन किया था, तब से महिला दिन मनाया जाता है।
पेहले के जमाने मे महिला को घूघट मे रहना पड़ता था, मगर आज की महिलाए कमाँण्डो की तालिम लेकर सरहद पार दुश्मनों को गोली मारने तक सज्ज हो गई है।
आज की महिलाए सरपंच, आइ ए एस अधिकारी से लेकर सांसद, मुख्यमंत्री, वडाप्रधान भी बन सकती है। बचपन मे गुड़िया खेलने वाली महिला आज फुटबॉल, क्रिकेट, चेस आदि खेल रही है।
बेटी को हम बेटा कह कर बुला सकते है, परंतु बेटे को बेटी नहीं बुला सकते। इसीलिए तो बेटी अनमोल है। आज महिलाए पुरुषो के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है।
महिला और पुरुष दोनो की पूरक भूमिका से ही घर संसार चल सकता है। शादी के बाद महिला के जीवन मे कई बदलाव आते है। वह आदर्श पत्नी बनने के साथ- साथ आदर्श बहू भी बनी रहती है।
महिला कई तरह के किरदार निभाती है। मगर उसके साथ किसीने गलत किया तो वो आँधी तूफान भी ला सकती है, यह याद रखना झरुरी है।
महिला समाज का गहना होती है, इसे हमे बड़े ही आदर के साथ रखना चाहिए।