बुद्ध पुर्णिमा परिचय :
भारतीय कैलेंडर के अनुसार बैसाख महीने की पुर्णिमा के दिन भगवान बुद्ध का जन्म दिन आता है, भगवान बुद्ध के चाहने वाले भक्त इस पुर्णिमा को बड़े ही धूमधाम से मनाते है।
वैशाख पूर्णिमा का संबंध इसलिए महत्वपूर्ण है कि भगवान बुद्ध के अपने जीवन के साथ उनका जन्म इसी दिन राजकुमार गौतम के रूप में हुआ था, और इसी दिन उन्हें बिहार के बोधगया में पीपल के वृक्ष के नीचे बुद्ध (ज्ञान) की प्राप्ति हुई थी।
इस दिन कुशीनगर से होकर वह महानिर्वाण के लिए चले गए और इस दुनिया को छोड़ दिया।
दुनिया भर के कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा Bhagavan Buddha Purnima कैसे मानते है ?
बुद्ध पूर्णिमा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी मनाई जाती है। श्रीलंका, कंबोडिया, वियतनाम, चीन, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं।
श्रीलंका में, इस दिन को “वेसाक”के रूप में जाना जाता है, जो निश्चित रूप से भारतीय वैशाखी शब्द का एक गलत अर्थ है।
इस दिन बौध्द धर्म को मनाने वाले लोग अपने घरो को साफ-सुथरा करके फूलो से सजाते है, पूरे घर मे दीपक जलाकर भगवान बुध्ध की पुजा करते है।
बिहार की राजधानी पटना से 100 किलोमीटर की दूरी पर गया नमक जिले मे “बोधगया” करके एक शहर है, वहा महाबोधि मंदिर के परिसर मे एक बड़ा सा पीपल का पेड़ है, माना जाता है की इसा पूर्व 531 मे भगवान बुध्द ने उसी पेड़ के नीचे बेठ कर अपना ज्ञान प्रपट किया था,
इस लिए यहा पर पूरी दुनिया के बोद्ध धर्म से जुड़े लोग आते है, और यहा फल-फूल चढ़ा कर दीपक जलते है, औए सच्चे मनसे प्रार्थना करते है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व :
बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के पिछले सभी जन्मों के पाप से मुक्ति मिल जाती है। इस स्नान को लाभों के मामले में अंतिम पूर्व माना जाता है।
इस दिन, बौद्ध लोग मठों में इकट्ठा होते हैं और पूजा करते हैं। दीपक जलाया जाता है, वृक्ष की जड़ो के ऊपर दूध और पानी डालके, वृक्ष की शाखाओ व डालियों को सजाते है, और बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करने का संकल्प लिया जाता है।
इस दिन पक्षियो के लिए बोहोत अच्छा दिन माना जाता है, जो लोग पक्षीयौ को पकड़ कर पिंजरे मे रख कर बेचते है, वह पक्षी को बौध्ध धर्म मानने वाले लोग खरीदते है और उसे फिर से खुले आसमानमे छोड़ देते है। इस दिन गरीब लोगो को वस्त्र दान और खाना खिलाते है।
महात्मा बुद्ध Bhagavan Buddha को भगवान विष्णु का अवतार माना गया है।
भगवान बुध्ध ने गृहत्याग कर दिया था, उसके बाद वह सत्या की खोज करने के लिए 7 वर्षो तक जंगलो मे भटकते रहे, जंगल मे रह कर कठोर “तप” किया।
दूसरी तरफ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार महात्मा बुद्ध को “भगवान विष्णु”का अवतार माना जाता है। इस दिन, लोग उपवास करते हैं। यही कारण है कि बौद्ध और हिंदू दोनों धर्मों के लोग बुद्ध पूर्णिमा को बहुत ही आस्था के साथ मनाते हैं।
महात्मा बुद्ध Bhagavan Buddha का ज्ञान
बुद्ध ने हमेशा मानव को भविष्य की चिंता किए बिना वर्तमान में जीना सिखाया है। महात्मा बुद्ध ने बिहार के बोधगया में एक पेड़ के नीचे आत्मज्ञान प्राप्त किया था। जिसके बाद दुनिया में इस दिव्य ज्ञान का प्रकाश फैल गया।
बुद्ध के इस ज्ञान का एक मौलिक प्रश्न है, ‘जीवन का सत्य क्या है?’ हम भविष्य को नहीं जानते हैं और हम अतीत के बारे में गर्व या पश्चाताप करते हैं। वर्तमान में जीने के लिए खुश रहने के लिए ये सभी स्थितियां दर्दनाक हैं।
हमारी ज़िन्दगी में कई बार छोटी-मोटी तकलीफ़े आती रहती है,हम इस तकलीफ को बहुत बड़ा समझ लेते हैं, और उस तकलीफ़ों से सामना करने की बजाये उस तकलीफ को ही उठाते रहते हैं।
हमे ज़रुरत इस बात की है कि हम इस बात को समजे और बिना समय गंवाएं उन मुसीबतों से दट कर सामना करे, और जब हम ऐसा करेंगे तो कुछ ही समय में हमारी छोटी-मोटी दिखने वाली तकलीफ़े या समस्यातुरंत ही दूर हो जाएगी।