ध्यान का कितना महत्व है ?
आपने कई लोगो को ध्यान करते हुए देखा हुआ होगा, या किसिकों ध्यान की बाते करते सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते है हमे ध्यान करने की क्या आवश्यकता है ? इसे करने से हमारे जीवन मे क्या परिवर्तन आएंगे ? ऐसे कई सवाल हमारे मनमे उठते होंगे।
हमारे जीवन मे हम अगर ध्यान करना अच्छी तरह से सीख ले, तो हमारे मन के लिए बहुत ही अच्छा माना जाएगा। ध्यान से हम हमारे मन को कंट्रोल मे रख सकते है। अगर हमने मन को कंट्रोल मे कर लिया तो फिर हम कोई भी काम बिना कोई रुकावट के अच्छी तरह से कर सकते है।
हमारा कोई भी काम बिना कोई रुकावट से हो जाता है, तो हमे कितना सुकून मिलता है यह बात तो हम जानते ही है।
हमारा मन हमे क्यू मजबूर करता है ?
हम जब अपने आप को देखते है, तब हमे एसा लगता है की, हमारे खुद के लिए निर्धारित किए हुए भौतिक लक्ष्यो की प्राप्ति करने के लिए बहुत ही ज्यादा व्यस्त रहते हुए, हम एक सुंदर गतिशील जीवन जी रहे है, और संभवतः हम वह लक्ष्यो को प्राप्त भी कर रहे है, फिर भी हमे हमारे जीवन मे शांति और संतोष की कमी का अनुभव हो रहा है, ऐसा हमे लग रहा है।
इसमे कोई शंका नहीं है की अभी हम जिस मानव जाती के समग्र इतिहास मे ऐसे एक विशिष्ट समय मे है, की जहा पर आधुनिक संशोधनों और नए-नए उपकरणो की सामाग्रीयां के कारण हम अभूतपूर्व सुविधाओ का लाभ ले रहे है, फिर भी हम ऐसा दावा नहीं कर सकते है, की हम अपनी पिछली ज़िंदगी के लोगो से भी ज्यादा खुश या हम उनसे ज्यादा सुखी है।
हम जानते है के यह स्थिति को हमारा अनियंत्रित या जिसे हम हमारे ऊपर अनुशाशन करने वाला हमारा “मन” आभारी है, जो की हमारी समस्या की जड़ है।
हमारे शरीर की इंद्रिया क्या काम करती है ?
हम मनुष्य के रूप मे हमारी पाँच इंद्रियों का हररोज़ इस्तेमाल करते आ रहे है, और वह सभी सूचनाओ का संग्रह हमारे मन मे होता है।
यह संग्रह हुई सूचनाओको हम याददस्त या अनुभव के रूप मे हमारे अर्धजागृत मन मे उसे संग्रहीत करते है। और उसके बाद सग्रह की हुई सभी याददास्त हमारे जीवन का एक हिस्सा बनकर या किसी भी घटना के साथ जुड़ जाती है।
हम हर दिन विभिन्न प्रकार की परिस्थितियो का सामना करते है, उस समह हमारा मन सचेत होकर हमारे अंदर विचारो का जन्म लेता है, हमारा दिमाग इस विचारो और परिस्थितियो को हमारे साथ पहले कोई घटी हुई घटना, या किसी उदाहरण को मिलाकर उसमे से सभी याददास्त के साथ तूलना करने मे जुड़ जाता है, इस प्रकार हमारा दिमाग उसके अंतर को ढूंढ कर उसकी व्याख्या करता है।
मनुष्य का सबसे अनमोल कहा जाने वाला “दिल” जो मनुष्य की भावनाओ से भरा हुआ एक महान उपकरण है, वह हमे परिस्थितियो के आधीन पवित्र या शुध्ध जवाब देता है।
व्यक्ति जब जब कठिनाईओ का चयन करता है, तब तब वह मुश्किलों से भरे विकल्प और कोनसा रास्ता अपनाना हो उसके निष्कर्ष मे आने के लिए असमर्थता का अनुभव करते है।
उस समय वह मनुष्य अपने आसपास के लोगो द्वारा सरलता से प्रभावित हो जाते है, और उनके खुदके दिल की आवाज़ को समझ नहीं सकते और उनके मन के समज से कुछ अलग नहीं कर सकता।
हमे ध्यान क्यू करना चाहिए ?
हम मे से कई लोग जिम जा कर व्यायाम या कसरत करते होंगे, वह लोग यह बात से परिचित होंगे। वह लोग जानते ही होगे की हम अगर नियमित रूप से जिम मे जा कर कसरत करते है, तो हमारे शरीर की तंदुरुस्ती बढ़ती है।
लेकिन, जहा हमारी मानसिक तंदुरुस्ती की बात आती है तब, हम उनकी परवाह या चिंता करते होंगे ऐसा लगता नहीं हे। हमे हमारे मन के नियमन के लिए या कहा जाए तो मन की कसरत के लिए, कुछ समय निकाल ने की हमे आवश्यकता नही लगती।
ज़्यादातर देखा गया है की जो व्यक्ति हर दिन नियमित रूप से ध्यान करते है, उनके लिए किसी के भी दिल मे जगह बनाना बहुत ही सरल हो जाता है। वह व्यक्ति उनके सभी निर्णय लेने के लिए अपने अनमोल दिल की सेवाएं का उपयोग करना पसंद करता है।
ध्यान करने वाला व्यक्ति अपने मन को नियंत्रित करने मे कुशल होता है। ऐसे ध्यान के अभ्यास करने वाले व्यक्ति के मन मे शायद ही कभी भ्रम या उलझन पैदा हुई होगी,क्योंकि दिल और मन की अनुकूलता हमे बहुत विशुद्धि प्रदान करती है। ऐसे संतुलित व्यक्ति से विवेकपूर्ण निर्णय अपेक्षित परिणाम हैं।