15 अगस्त के दिन भारत देश मे स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
हम सभी देश की स्वतंत्रता आंदोलन के विषय मे तो बहुत सारा जानते है। इस दिन भारत देश के इलावा पूरे विश्व मे बसने वाले देश के भारतीय 15 अगस्त के दिन को बड़े ही उत्साह से एक पर्व की तरह Svatantrata Divas मनाते है।
लेकिन क्या आप जानते है, दशकों के संघर्ष, लाखो लोगो का बलिदान देकर, आए हुए इस ऐतिहासिक दिन के बाद हमारे देशमे राजधानी दिल्ली मे क्या हुआ था ? आधी रात को आज़ादी मिलने के पीछे क्या कारण जिम्मेदार था, इसके बारे मे शायद बोहुत ही कम लोग जानते होगे।
त्यौहार जैसा महोल हुआ था, 15 अगस्त, 1947 के दिन देश के सभी छोटे-बड़े नगर, शहर, शहर के लोग रास्ते पर निकाल आए थे। देशभक्ति गीतो को गाते हुए, पूरी हिम्मत से “जय हिन्द” के नारे से चिल्ला रहे थे। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन जैसे राष्ट्रिय स्थलो पर लाखो लोग इकट्ठा हुए थे।
स्वतंत्रता दिवस के दिन राष्ट्रपति कहाँ थे ?
देशको आज़ादी देनेवाला अंगेज़ों के सामने लड़ाई करके नहीं हटने वाला, सम्पूर्ण आज़ादी की जंग का नेतृत्व देने वाले मोहनदास करमचंद गांधी जिसे हम “गांधीबापू”, गांधीजी से जानते है, वह पूरा दिन पश्चिम बंगाल के बेलियाघाट के एक घर मे रुके थे।
उस दिन सबसे पहले ब्रिटन मे रहने वाले उनके मित्र अगाथा हेरिसन को उन्होने पत्र लिखा और उन्होंने देश की आजादी के लिए भगवान का शुक्रिया अदा किया। उन्होने पूरे दिन उपवास रखा था, और उस दिन नन्हें बच्चो से से मिले थे।
स्वतंत्रता दिवस का फ़ैसला बहुत जल्दी हो गया था।
एक हकीकत यह थी की भारत को आज़ाद करने का फेसला 26 फरवरी, 1947 के दिन ही ले लिया गया था। ब्रिटिश सरकारने एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा था की, जून 1948 तक भारत को स्वतंत्र कर दिया जाएगा।
इसके लिए लॉर्ड माउंटबेटनको वाइस-रॉय बनाए गए थे। वह भारत को ब्रिटनकी गुलामी की ज़ंजीर मे से मक्त कर के भारत के अधिकार को दे ऐसा तय किया गया था।
पहली सभा 14वी अगस्त के दिन आज़ादी की घोषणा होते ही स्वतंत्रता सभा बुलाई गई थी। जिसके अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। दिल्ली मे रात 11 बजे बुलाने जाने वाली इस सभा की शुरुआत क्रीपलानीने “वंदे मातरम …” गीत से किया था।
दिन की शुरुआत 15 अगस्त के दिन सुबह तकरीबन आठ बजकर तीस मिनट पर वाइस-रॉय लॉर्ड माउंटबेटन के नेतृत्व मे वर्तमान समय के राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल होल मे भारत की नयी सरकार ने शपथ ली गयी थी।
एक साल पहले आज़ादी लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था की जून 1948 तक भारत को आज़ाद किया जाएगा, लेकिन वह आसान नहीं था। क्यू की महम्मद अली झिणा और जवाहरलाल नेहरू के बीच मे भारत देश मे हिन्दू और मुस्लिम के बटवारे करने का विवाद चल रहा था।
परिणामस्वरूप लॉर्ड माउंटबेटन की समस्या बढ़ती गई। इस बात को देखकर उन्होने 1947 मे ही स्वतंत्रता की सभी औपचारिकताओं को पूरा कर लिया।
मध्य रात्रि में स्वतंत्रता क्यों ?
3,जून, 1947 के दिन लॉर्ड माउंटबेटन ने तय किया की भारत देश को 15वी अगस्त 1947 के दिन आज़ाद किया जाएगा। लेकिन इस दिन को लेकर भारतीय ज्योतिषियों ने आपत्ति जताई थी, उनकी राय में यह दिन देश के लिए बहुत अशुभ था। दूसरी और लॉर्ड माउंटबेटन उसी दिन को लेकर अड़े थे।
इसलिए, 15 अगस्त की आधी रात को स्वतंत्रता प्रदान करने का एक तरीका पाया गया, क्योंकि भारतीय मान्यता के अनुसार दिन की शुरुआत सूर्य के उगने के साथ ही होती है, जबकि अंग्रेजों के हिसाब से तिथि को मध्यरात्रि में बदला जाता था, इस लिए दोनों के विश्वासों को बनाए रखा जाएगा।
स्वतंत्रता दिवस के लिए सिर्फ 15 अगस्त ही क्यों ?
लॉर्ड माउंटबेटन के लिए यह तारीख बहुत भाग्यशाली थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, जापानी सेना ने 15वी तिथि के दिन ही उनके सामने आत्मसमर्पण कर दिया था।
नेहरूजी का यादगार भाषण: आजादी की पूर्व संध्या पर, जवाहरलाल नेहरू ने ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी‘ शीर्षक से एक यादगार भाषण दिया। इस समय का यह भाषण अधिकतम भाषणो मे से एक मना जाता है। वह इस समय आधिकारिक रूप से भारत के प्रधान मंत्री नहीं थे। उन्होंने 15 अगस्त को शपथ ली थी।
साल 1947, के इस दिन के समय अंग्रेज़ो की गुलामी से भारत देश आज़ाद हुआ था। इसलिए, स्वतंत्रता संग्राम में सफलता और स्वतंत्रता प्राप्त करने की खुशी में हर साल स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।
इस दिन को पूरे भारत में एक “राष्ट्रीय त्योहार” के रूप में घोषित किया गया है। 15 अगस्त के दिन देश के सभी कार्यालयों में सार्वजनिक छुट्टी रखी जाती है।
पूरे देश में, स्थानीय स्व-सरकारी संगठनों (राज्य सरकारों, जिलों, तालुका और ग्राम पंचायतों) द्वारा “ध्वज वंदन” का आयोजन किया जाता है।
मुख्य समारोह नई दिल्ली में मनाया जाता है, जिसमें भारत के प्रधान मंत्री लाल किले से तिरंगा फहराते हैं और लोगों को एक संदेश देते हैं। जिसका सीधा प्रसारण टेलीविजन पर होता है।
इस संदेश में वे आम तौर पर पिछले वर्ष में अपनी सरकार की उपलब्धियों का वर्णन करते हैं, आगे की प्रगति और विकास के लिए महत्वपूर्ण बाते और देश ज्यादा से ज्यादा प्रगतिशील और विकासशील कैसे बनाए उसके बारे मे चर्चा होती है।
हमारे देशके प्रधानमंत्री शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते है, और स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं को स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया। भारत की सांस्कृतिक विविधता की प्रदर्शनी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में देश की प्रगति का अवलोकन करते है, भारत की सशस्त्र शक्ति का प्रदर्शन और देश की सुरक्षा बलों की परेड उत्सव का एक अभिन्न अंग है।