क्रिसमस Christmas Day क्यो मनाया जाता है ?
ईश्वर यीशु ख्रीस्त ने जिस दिन मानव शरीर मे जन्म लिया उस दिन को हम क्रिसमस दिन के रूप मे मनाते है। ईसाई धर्म के पवित्र “बाइबल” मे कहा गाया है, की ईश्वर यीशु ने स्वर्ग का सुख छोड़ कर एक सामान्य मानवी बन गए और एक मानव माता से जन्म लिया।
ईश्वर यीशु का जन्म कहा हुआ था ?
ईश्वर यीशु के जन्म की बात सुनकर आप हेरत मे पड जाओगे। हा, ईश्वर यीशु का जन्म कोई करोड़पति या राजा के महल मे नहीं हुआ था, परंतु जहा पर पशुओ को रखा जाता है, जहा भेड-बकरियों और गाय-भेस के मल-मूत्र से दुर्घन्ध-बदबू आती है, जहां पर जाने पर हमे अपने नाख को बंध करना पड़ता है, एसी जगह पर उनका जन्म हुआ था।
इंसान के रहने के स्थान पर ईश्वर यीशु के लिए जगह नहीं थी। जैसे की मनुष्य मे मानवता का कोई ठिकाना ही नहीं। उस समय पशुओ मे मानवता दिखी गई। पशुओने अपने रहने के स्थान को ईश्वर यीशु के जन्म के लिए खुल्ला रखा। हमे यह बात जान कर कैसा लगता है ?
ईश्वर यीशु ने चाहा होता तो वह कोई अमीर, करोड़पति, राजा या महाराजा के महल मे जन्म लेते, तो सोने के पालने मे जुला जुल सके होते, हजारो दास दासियों उनकी सेवामे रुके हुए होते, अगर ईश्वर यीशु ने इस तरह किया होता तो दुनिया के धनी अमर उमरवों या आदरणीय को प्रभु मे उद्धार की आशा मिलती।
लेकिन प्रभु यीशु समग्र मानवजात मे रहने वाले गरीब अनाथ, निराधार, आशाहीन, जिसको जीने की उम्मीद है, जिसे माँ बाप का प्यार नहीं मिला हो, घर से निकाल दिया गया हो, वैसे समग्र मानवजाति के उद्धार के लिए प्रभु यीशु को, पशुओ के रहने की जगह पर जन्म लेना पड़ा।
यहूदियों की नगरी बेथलेहेम मे हेरोद राजा राज करता था। उस समय वह राजा वहा की प्रजा के ऊपर बहुत ही अत्याचार कर रहा था, उसके अत्याचारों से बचने के लिए यीशु के पिताजी यीशु और उसकी माँ को लेकर मिस्र चले गए।
हेरोद राजा की मृत्यु हो जाती है, इस बात का पता चलते ही यीशु के पिता उसे लेकर नजरेथ गाँव मे आकर रहने लगते है। बाइबल के अनुमान के मुताबिक हेरोद राजा की मृत्यु ईसा पूर्व 4 मे हुई थी, अतः ईश्वर यीशु का जन्म भी ईसा पूर्व 4 मे हुआ होगा। इसका किसी भी पुस्तक मे कोई प्रमाण नहीं है।
शुभ संदेस देनेवाला क्रिसमस Christmas Day :
मानवजीवन के उद्धारक के रूप मे प्रकट हुए ईश्वर यीसु ख्रीस्त समग्र संसार के मसीहा शांति का संदेश लेकर सारे विश्व मे श्रद्धा, विश्वास बनाए रखने के लिए मनुष्य के रूप मे अवतार लिया।
डिसेम्बर महीने की 25तारीख को ईसाई धर्म के लोग क्रिसमस का पर्व बड़े उत्साह से मनाते है।
कहा जाता है की ईश्वर यीसु का जन्म हुवा तब चारो तरफ उजाला हो गया था, खेत–जंगलो मे गहरा अंधेरा था उस जगह अचानक उजाला आगया। और तभी सब लोग ईश्वर यीसु के बाल-अवस्था को देखने के लिए और उनके दर्शन करने के लिए उस जगह पर पहुचे।
ईश्वर यीसुने अपने जीवन मे अत्यंत विनम्र, दयालु, ज्ञानी और साधू के रूप मे जीवन व्यतीत किया। मानव प्रजाति को दया प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। मे सुखी हु, उतना समग्र संसार सुखी रहे ,ऐसा संदेश पूरे विश्व को मिलता है।
ईश्वर यीसु ने क्षमा मांगना और क्षमा देनेका महत्व समजाया। पापो की माया जाल के बंधनो को दूर करके अपने मनमे और अपने घरो मे प्यार और प्रार्थना का दिया जलाए रखे।
क्रिसमस Christmas Day कैसे मनाया जाता है?
क्रिसमस दिन के अवसर पर सारे मानव समुदाय प्रेम और भाईचारे से ईश्वर यीसु का जन्म दिन मानते है। इस दिन छोटे बच्चो को चॉकलेट, केक, मिठाई आदि से खुश रखा जाता है। क्रिसमस ट्री को सजा कर उआ पर तारो से उजाला किया जाता है।
सांताक्लोज़ की प्रतिकृति का दर्शन करके बच्चे-बुठे सभी लोग अपने तोहफे का इंतज़ार करते है। छोटे बच्चो और गरीबो को उनकी मन- पसंद का खाना देकर खुशी महशुस करते है।
क्रिसमस क्या है? What is Christmas Day ?
ईश्वर यीसु ख्रीस्त के जन्म दिन को हम क्रिसमस दिवस के रूप मे मानते है। इस पवन पर्व को ईसाई धर्म के लोग कई तरह से मानते है। कई लोग इस दिन को एक त्यौहार की तरह मनाते है, लेकिन सवाल ये होता है की क्रिसमस क्या है?
ईश्वर ने आदम-हवा का सर्जन किया। यह सर्जन इसलिए किया ताकि वह उनके प्रभु की संगत मे रहे और ईश्वर की आराधना करे। लेकिन उन्होने ईश्वर का विश्वास तोड़ कर पाप किया, अंततः वह ईश्वर की संगत से दूर हो गए। एसी परिस्थिति मे ईश्वर उनके पास आते है।
इन स्थिति मे ईश्वर मूसा के माध्यम से जीवन जीने की आज्ञा देते है। जिसका वे पालन कराते है, लेकिन पूरी तरह से नहीं।
मनुष्य से पाप हुआ हो तो मनुष्य से ही इस पाप का प्रायश्चित होना जरूरी है। एसी परिस्थिति मे ईश्वर ने अपने एकलौते और प्यारे पुत्र प्रभु यीसु को मनुष्य जीवन मे पृथ्वी पर भेज दिया। देवपुत्र मानवपुत्र बन गया, इस प्रकार ईश्वर के अवतार की क्रिया को “क्रिसमस” कहा जाता है।