दीपावली क्या है?
दीपावली हर्षोल्लास से मनाने वाला त्यौहार है। उत्साह से माननेवाला त्यौहार होने के कारण हम रंगीन रूप से मनाते भी है।
जश्न मनाना हमारी आदत है। और ये आदत छूटती नहीं और छूटेगीभी नहीं। हम जश्न के बिना नहीं रह सकते। लेकिन ये जश्न, और ये उत्साह एक दिन या एक रात तक सीमित नहीं होनी चाहिए, उस रात दीपक जलाना पर्याप्त नहीं है, और आतिशबाज़ी-फटाखे फोड़ना भी काफी नहीं है।
दीपावली की रात अमावस के अंधेरे के सामने चुनौती करती रात है। और यह चुनौती हमारे अंदर भी जलानी चाहिए। अंधेरा सिर्फ एक रात की जागीर नहीं होती। असत्य, अनीति, अहंकार, दंभ ये भी अंधकार के ही एक पहलू है। एसे अंधकार के खिलाफ चमक ने वाले दीपक को कौन रोशन करेगा? है एसा कोई हमारे बीच महापुरुष जो इस अंधेरे को दूर कर सके?
असत्य और अनीति रूपी अंधकार को दूर करनेकी ज़िम्मेदारी हमारी खुदकी है। हमे हमारे अंदर से एसे कुनीतिओ को दूर करके प्रकाश रूपी सही राह चुननी चाहिए।
दीपावली का त्यौहार क्यौ मनाया जाता है ?
हमारा भारत देश भी कितना अद्दभूत देश है! जो निरंतर आते त्यौहारो की यह भूमि है। नवरात्रि पूरी होते ही दीपावली की तैयारी शुरू हो जाती है।
भारत देश मे मनाए जाने वाले त्यौहारो मेसे एक अलग प्रभावित करदेने वाला त्यौहार दीपावली का है। सभी त्योहारो मीसे दीपावली का त्यौहार सर्वोच्च त्यौहार है।
अमावस की अंधेरी रात मे दिये को जलाया जाता है। ये दिये एसेही नहीं जलाए जाते, ये दिये हमारे जीवन मे और हमारे मानस मे व्याप्त अंधेरे को दूर करने की प्रेरणा देते है।
दीपावली अंधकार से उजाले की और ले जाने वाला पर्व है।
आज सभी जगह कदम-कदम पर अधर्म रुपी अंधकार छा गया है। धर्म के नाम पर जगह-जगह पाखंड चल रहा है। श्रध्धा की जगह अंधश्रध्धा ने लेली है। सामाजिक जीवन मे गरीबी और बेकारी ने अपना आधिपत्य हावी कर दिया है। और इसके सामने एकजुथ और संगठित होकर संघर्ष करनेके बदले जातिवाद और उंच-नीच के भेदभाव को आगे बढ़ाने मे लगे है।
हमे हमारे लक्ष्य को सिध्ध करने के लिए तमाम प्रकार के भेदभाव को भूल कर एकजुथ होना जरूरी है। और इसके लिए हमे सबसे पहले हमारे अंदर दिया जलाकर हमारे मन मे घर कर गए अंधकार को दूर करना पड़ेगा।
समाज मे उजाला करने से पहले हमारे अंदर, हमारे मन मे उजाला करना पड़ेगा। और हमारा मन साफ करना पड़ेगा। हमारा मन साफ होगा तभी तो हमारे अंदर घर कर गए कमजोरी और कमिया दिखी देगी। हमारा मन साफ होगा तभी तो हमारा लक्ष्य दिखी देगा।
दीपावली का त्यौहार सिर्फ दिया जलाने तक सीमित नहीं है। यह संकल्प का त्यौहार है। बीते साल किए गए भूलो की क्षमा मांगने का और आनेवाले साल मे अच्छे काम करने का संकल्प करने का त्यौहार है।
दीपावली का त्यौहार कब मनाया जाता है ?
हिन्दू पंचांग के अनुसार दीपावली को कार्तिक मास मे अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
दीपावली को भारत मे रहने वाले सभी धर्म के लोग मनाते है। दीपावली को मनाने के पीछे वैसे तो बहुत सारी कहानियो को जोड़ा गया है। हम यहा हिन्दू धर्म के हिसाब से समझने की कोशिश करेंगे।
प्राचीन काल मे हिन्दू ग्रंथ रामायण से इस दीपावली के पर्व को जोड़ा गया है। लोगो का मानना है की रामायण मे भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और लक्ष्मण जब 14 साल का वनवास को पूरा करके जब अयोध्या पहुंचे तब अयोध्या वासियोने उनके सन्मान के रूप मे दिये जलाकर उनका स्वागत किया था।
कई हिन्दू समुदाय के लोग इस त्यौहार को भगवान विष्णु की पत्नी जो धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी है, उनके जन्म दिवस से जोड़ कर इसे मनाते है। इस दिन देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के साथ विवाह किया था। और इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते है।
दीपावली के त्यौहार को पाँच – छह दीनो मे बाँट कर मनाया जाता है।
दीपावली के त्यौहार मे एकादशी, वाघबारस, धनतेरस, दिवाली (दीपावली), गोवर्धन पूजा और भाई दूज आता है। माना जाता है की वाघबारस के दिन से सभी लोग अपने काम – धंधे को बंद करके दीपावली के त्यौहार को मनाते हुए अपने काम धंधे को लाभ पंचम के दिनसे चालू करने को शुभ मानते है।
यह दिवाली(दीपावली) Diwali (Deepavali) के बारे मे कुछ जानकारी हमारी टिम के द्वारा दी गई है। अगर आपको इस तरह के और भी आर्टिकल पढ़ना अच्छा लगता है, तो आप हमारी वेबसाइट को जरूर देखे।