क्या धन्यवाद करना शिष्टाचार है ?
जिस परमात्मा ने हमे श्रेष्ठ मानव जन्म दिया है और हमे इस पृथ्वी पर सुखी जीवन जीने के लिए सभी सुविधा दी है, इसके बदले मे हमे हर रोझ सुबह उठ कर और रात को सोते समय उस परमात्मा का धन्यवाद मानना चाहिए।
जब कोई हमे किसी बात के लिए मदद करे तो हम ऊसका धन्यवाद करते है। धन्यवाद करना शिष्टाचार का एक भाग है। जब हम किसि कों धन्यवाद कहते है तो उस व्यक्ति को सेवा या फिर मदद करने के लिए प्रोत्साहित भी करते है, ताकि वो व्यक्ति किसी दूसरे को भी मदद करने के लिए तैयार रहे।
धन्यवाद एक छोटा सा शब्द है लेकिन उसे बोलने से मन मे सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दूसरों की सेवा करने का मन होता है।
जब हम कभी किसी दूसरे व्यक्ति को धन्यवाद व्यक्त करके उसके अंदर सकारात्मक भाव जगाते है तो दूसरी तरफ हमारे अंदर भी थोड़ी-बहुत असर होती है।
वास्तव मे मनुष्य का शरीर एक प्रकार का आईना है, जो हमारे सामने वाले व्यक्ति के दिमाग मे जेसे तरंग पैदा होते है वैसे ही हमारे दिमाग की अंदर पैदा होते है।
हम किसे धन्यवाद देना पसंद करते है ?
धन्यवाद यह सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह तो हमारे मन के अंदर अनुभव किया आभार का बाह्य प्रदर्शन है। इसीलिए हमे हमेशा दूसरों को धन्यवाद देने की आदत रखनी चाहिए।
आजकल किसी को धन्यवाद कहना एक औपचारिकता बन गया है इसीलिए इसका कोई जादुई प्रभाव दिखाई देना चाहिए वो नहीं दिखाई देता, जब सामने वाली व्यक्ति कोई खास हो तब ही उसका सही दिल से धन्यवाद करते है।
कई बार तो हम हमारे घर पर काम करने वाले नोकर या फिर किसी चीज़ को देने के लिए आने वाले व्यक्ति को हम धन्यवाद कहकर भेज देते है, लेकिन जब कोई चोकीदार दरवाजा खोलते समय जब खुद झुक कर हमारा अभिवादन करता है तब हम उसका धन्यवाद करना उचित नहीं समझते।
जब सामने वाला व्यक्ति हम से ज्यादा अमीर हों या फिर उसका पद उचा हो तब सभी लोग उसका धन्यवाद करने मे शिष्टाचार मानते है। लेकिन जब कोई सामान्य वर्ग का हो तब लोग उसका धन्यवाद करना भूल जाते है।
धन्यवाद का कितना महत्व है ?
मनुष्य अपने जीवन मे कई प्रकार के कर्ज के साथ जन्म लेता है, जन्म से लेकर मृत्यु तक हम पर कई लोगो का उपकार होता है। हमारा जीवन दूसरे लोगो के उपकार और सहयोग से ही चलता है। जब हम किसी का धन्यवाद अदा करते है तब हमारे जीवन मे उस व्यक्ति का कितना महत्व है इस बात को व्यक्त करते है।
वास्तव मे इस सृष्टि पर रहने वाले किसी भी मनुष्य, प्राणी, पेड़ या कोई भी जीव हो वह एक दूसरे के साथ जुड़े हुए होते है। सभी एक दूसरे की जरूरत को पूरी करते है। यह प्रकृति का जीवन चक्र है, इसीलिए हमे सभी का महत्व समज़ कर धन्यवाद व्यक्त करना चाहिए।
जो कोई व्यक्ति हमारा कोई काम करता है या फिर हमे किसी प्रकार से मदद करता है तो हमे यह अवश्य जताना चाहिए की उन्होने हमारे लिए जो कुछ किया उसकी हम कदर करते है। धन्यवाद कहने से हमारे मन की भावना अभिव्यक्त होती है।
जब हम कही जा रहे होते है तब अचानक रास्ते मे गाड़ी खराब हो जाए और हमे कोई मिकेनिक नहीं मिले, हमारे घर मे पनि का नल खराब हो जाए और प्लमबर ना मिले तब हमारा कितना समय खराब हो जाता है।
उस समय हम कुछ नहीं कर सकते क्योकि हमे उन सब काम की जानकारी नहीं होती है, जो इन सब काम का जानकार हो और इन सब कामो मे कुशल हो वही व्यक्ति इस काम को कर सकता है।
एसी जरूरतों के समय मदद करने वाले व्यक्ति का कितना महत्व है ये हमे तब समझ मे आएगा। लेकिन जब वह व्यक्ति हमारा काम पूरा करके जाता है तब हम उसे पैसे दे कर हमारा फर्झ पूरा करते है।
इस प्रकार हर रोझ कितने लोग किसी न किसी प्रकार से हमारा काम करते होते है, फिर भी हमे उसका महत्व समझ मे नहीं आता।
क्या हम ने कभी सोचा है की हमारा वोचमेन, पुलिस, डोकटोर, सफाई कर्मचारी, रिक्षा ड्राइवर, शिक्षक आदि अपना काम ना करे तो हमे जीवन मे कितनी तकलीफो का सामना करना पड़ता। इन सभी को हमे दिल से धन्यवाद कहना चाहिए, चाहे वो छोटा हो या बड़ा हमारे लिए सब का बहुत ही महत्व है।
दूसरों को धन्यवाद कहने से हम मे नम्रता का भाव पैदा होता है। जब किसी को विशेष रूप से धन्यवाद देना हो तो लिख के उसका धन्यवाद करने से बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है। इस से धन्यवाद देने वाले और ग्रहण करने वाले दोनों व्यक्तिओ को ज्यादा आनंद प्राप्त होगा, क्योकि ग्रहण करने वाले को अपना विशेष महत्व है यह अनुभव होगा। दूसरा उसके साथ संबंध मे मिठास आएगी।
हमे किसे धन्यवाद देना चाहिए ?
कई बार तो हम जिसे नही जानते उसे भी धन्यवाद देते है क्योकि कोई संबंध नहि होने पर भी हमारी मदद करता है। हमे हमारे घर के लोगो का भी धन्यवाद मानना चाहिए, हमारे माता-पिता, भाई-बहन, दादा-दादी आदि, इन लोगो का तो जितना धन्यवाद करे उतना कम है।
धन्यवाद देने से हमारे जीवन मे क्या प्रभाव पड़ता है ?
धन्यवाद शब्द हमारे मन मे सकारात्मक ऊर्जा पैदा करता है, जब हम किसिका धन्यवाद करते है या फिर कोई हमारा धन्यवाद करता है, तब दोनों के अंदर सकारात्मक भाव पैदा होता है, इसमे मनुष्य को खुद के लिए सन्मान का अनुभव होता है। उसका प्रभाव दूसरे कार्यो पे भी पड़ता है, और हम अपना हर काम ज्यादा उत्साह से और गंभीरता से करते है।
किसी मुसीबत के समय मे जब हम किसी की मदद करते है तब अंतर मन से दिये गए आशीर्वाद भी किसी धन्यवाद से कम नहीं होते है, जैसे की भगवान आप का भला करे , भगवान आप को सुखी रखे, भगवान आप को सो साल तक जीवित रखे आदि वाक्यो का प्रयोग होता है। इस प्रकार से वो लोग अपना प्यार जताते है।
भारतीय परंपरा के अनुसार धन्यवाद के साथ-साथ आशीर्वाद भी दिया जाता है तब व्यक्ति के मन पर बहुत ही अच्छा प्रभाव पड़ता है, और वह अपने मन को सकारात्मक कार्य करने मे लगाता है। इस प्रकार धन्यवाद देने और लेने से व्यक्ति के मन पर गहरा प्रभाव देखने को मिलता है।
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