अरुणाचल प्रदेश परिचय:
अरुणाचल शब्द का अर्थ “उगते सूर्य का पर्वत” होता है। अरुणाचल प्रदेश राज्य भारत देश का 29वा और एक उत्तर पूर्वी राज्य है। यह एक पहाड़ी क्षेत्र है।
अरुणाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा 20 फरवरी 1987 को मिला था।
वर्तमान समय मे देखे तो भारत देश के कई अन्य हिस्सो से भी बहुत सारे लोग यहा आकार अपनी आर्थिक और सांस्कृतिक प्रवृत्ति कर रहे है। विभिन्न सांस्कृतिक और परम्पराओ के साथ समृद्ध अरुणाचल प्रदेश राज्य भारतीय उपखंड मे सब से ज्यादा विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओ वाला राज्य है।
अरुणाचल प्रदेश की सीमा मे दक्षिण मे नागालेंड और असम है, पश्चिम मे भूटान, पूर्व मे म्यानमार और उत्तर मे चीन है।
अरुणाचल प्रदेश का सामान्य तथ्य:
- स्थापित दिवस: 20 फरवरी 1987
- राजधानी: इटानगर
- कुल जिले: 16
- सब से बड़ा शहर: इटानगर
- क्षेत्रफल: 83,743 वर्ग किलोमीटर
- प्रथम मुख्य मंत्री: प्रेम खानदु थुंगर
- अरुणाचल प्रदेश की सीमा: असम, नागालेंड, भूटान, म्यानमार
- प्रमुख नदी: सियांग नदी, दिहिंग नदी, लोहित नदी
- जनसंख्या: 13,82,611 (2011 की जनगणना के अनुसार)
- साक्षरता: 66.95% जो भारत की औसत साक्षरता दर 74.04% से काफी नीचे है। (2011 की जनगणना के अनुसार)
- आधिकारिक भाषा: हिन्दी, अङ्ग्रेज़ी
- राजकीय पक्षी: ग्रेट इंडियन होर्नाबील
- राजकीय पशु: मिथुन
- राजकीय पेड़: होलोंग
- राजकीय फूल: रेटूसा
- प्रमुख कृषि उद्योग: चावल, गन्ना, गेहु, बाजरा, अदरख
- मुख्य पर्यटक स्थल: ईटा किला, बौद्ध मंदिर, पापुम पारे,परशुराम कुंड
- मुख्य नृत्य: मुखौटा नृत्य, युद्ध नृत्य
अरुणाचल प्रदेश का इतिहास:
1913-1914 में चीन, ब्रिटेन और तिब्बत के प्रतिनिधियों ने शिमला समझौते के लिए मुलाकात की। हालांकि, चीनी प्रतिनिधियों ने इस क्षेत्र में बातचीत करने से इनकार कर दिया। इस संधि का उद्देश्य आंतरिक और बाहरी तिब्बत के साथ-साथ बाहरी तिब्बत और ब्रिटिश भारत के बीच की सीमाओं को निर्धारित करना था।
ब्रिटिश प्रशासक, सर हेनरी मैकमोहन, ने सिमला समझौते के दौरान ब्रिटिश भारत और बाहरी तिब्बत के बीच 550 मील (890 किमी) की मैकमोहन रेखा खींची।
तिब्बती और ब्रिटिश प्रतिनिधियों ने सम्मेलन में सहमति व्यक्त की, और तिब्बत ने तवांग और अन्य तिब्बती क्षेत्रों को ब्रिटिश साम्राज्य को सौंप दिया। इस वजह से, चीनी प्रतिनिधिमंडल ने समझौते को स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
तिब्बती और ब्रिटिश सरकारें शिमला समझौते से आगे बढ़ीं और उन्होंने घोषणा की कि संधि के अन्य लाभों को चीन पर लागू नहीं किया जाएगा जब तक कि वह संधि की पुष्टि नहीं करता। चीन का विचार था कि तिब्बत चीन से स्वतंत्र नहीं है।
तिब्बत स्वतंत्र रूप से हस्ताक्षरित संधियों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकता है, और एंग्लो-चीनी (1906) और एंग्लो-रूसी (1907) सम्मेलनों के अनुसार, कोई भी ऐसा समझौता चीनी अनुमति के बिना अमान्य था।
दलाई लामा के अनुसार, 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान, पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने पहले से ही इन सभी क्षेत्रों (अरुणाचल प्रदेश) पर कब्जा कर लिया था, लेकिन उन्होंने एकतरफा युद्ध विराम की घोषणा की और वर्तमान अंतर्राष्ट्रीय सीमा को स्वीकार कर लिया।
अरुणाचल प्रदेश का भूगोल:
अरुणाचल प्रदेश का ज़्यादातर हिस्सा हिमालय से घेरा हुआ है। इस लिए यह राज्य भारत के खूबसूरत राज्यो मे से एक है। यहा बहुत भारी बारीस होती है।
लोहित नदी अरुणाचल प्रदेश और असम मे बह ने वाली एक नदी है, लोहित नदी पूर्वी तिब्बत के ज़याल छु पर्वत श्रेणी से निकलती है। यह नदी तूफानी और अशांत है।
कंगतों पर्वत पूर्वी हिमालय मे भारत और तिब्बत की सीमा पर स्थित 7,060 मीटर लंबा पर्वत है। यह अरुणाचल प्रदेश का सब से ऊंचा पर्वत है।
गोरिचेन पर्वत चोटी पर्यटन विभाग के अनुसार 6,900 मीटर उचाई वाली यह चोटी भारत और अरुणाचल प्रदेश की सब से उचि चोटी है।
तवांग अरुणाचल प्रदेश का एक शहर है, जो हिमालय की तराई मे समुद्र तल से 3500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
बूम दर्रा अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के ल्होखा विभाग के बीच हिमालय का एक पहाड़ी दर्रा है, जो समुद्र तल से 15,200 फिट की उचाई पर है।
अरुणाचल प्रदेश मे देख ने लायक स्थानो मे परशुराम कुंड जो प्रभु कुठार के नाम से भी जाना जाता है, वह इस राज्य के लोहित जिले की उत्तर-पूर्वी दिशा मे है।