भाई दूज परिचय :
भाई दूज एक हिन्दू धर्म का त्यौहार है, जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है। यह दीपावली के दो दिन बाद मनाए जाने वाला त्यौहार है, भाई दूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है।
भाई दूज का त्यौहार भाई-बहन के रिश्ते को ज्यादा मजबूत कर देता है।
भाई दूज का त्यौहार क्यों मनाया जाता है?
संज्ञा सूर्य की पत्नी है, जिनकी दो संतान है। एक पुत्र यमराज और एक पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाई और उसने एक छाया मूर्ति का निर्माण किया। संज्ञा ने अपने पुत्र-पुत्री को उस छाया मूर्ति के हवाले कर के वहा से चली गई। छाया को उन दोनों भाई-बहनो से किसी भी प्रकार का कोई लगाव नहीं था।
यमुना और यमराज दोनों भाई-बहन के नाते एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। यमराज अपनी बहन यमुना से बेहद प्यारकरते थे, लेकिन वह एक दूसरे से मिल नहीं पाते थे। इसीलिए यमुना नाराज रहती थी। एक दिन यमुना की नाराजगी दूर करने के लिए यमराज ने बहन से मिल ने का सोचा, जब यमुना ने अपने भाई यमराज को देखा तो वह खुशी से भर उठी, और उसका सत्कार किया।
यमुना ने अपने भाई के लिए खाना बनाया और उसका आदर सत्कार किया। यमराज भी अपनी बहन की आंखो मे खुशी देख कर बहुत सारे भेट दे दिये।
जब बिदा लेने का समय आया तो यमराज ने यमुना से कहा की तुम एक अपनी इच्छा वरदान मांग लो मै अवश्य पूरी करूंगा। तब यमुना ने कहा की अगर आप मुझे कोई वरदान देना ही चाहते है, तो यह वर दीजिये की आप आज के दिन हर साल मेरे घर आएंगे, और मेरा आतिथ्य स्वीकार करेंगे।
कहा जाता है की इसी के बाद हर साल भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। और कहा जाता है की इस दिन जो भाई अपनी बहन के घर जाकर टीका लगवाता है उसको यम का भय नहीं रहता, और उसकी आयु लंबी होती है।
भाई दूज का त्यौहार कैसे मनाया जाता है?
बहन अपने भाई के स्वागत के लिए अपनी थाली को बहुत ही अच्छी तरह से सजाती है। और भाई को खिलाने के लिए घर मे कई तरह के व्यंजन बनती है।
बहन अपने भाई के माथे पर टीका लगाती है, और घी के दिये से अपने भाई की आरती उतारती है। और उसके पसंद की मिठाई खिलाती है।
भाई अपनी बहन को आशीर्वाद के रूप मे कोई भी वस्त्र-आभूषण या फिर भेट-उपहार देते है। और बहन भाई की लंबी आयु की कामना करती है और अपने भाई को शुभ आशीर्वाद देती है।
भाई दूज की मुख्य क्रिया यह है की इस दिन भाई बहन को इच्छा के अनुसार भेट देता है, और बहन के द्वारा भाई को उत्तम भोजन कराना होता है। इस से भाई-बहन के पवित्र प्रेम और स्नेह मे अधिक बढ़ोतरी होगी।