हिमाचल प्रदेश राज्य के बारे में महत्व की जानकारी।

  • Post author:
  • Reading time:4 mins read

हिमाचल प्रदेश परिचय :

हिमाचल प्रदेश एक एसा राज्य है जो भारत के सब से खूब सूरत राज्यो मे गिना जाता है। इस राज्य को देव-भूमि के नाम से भी जाना जाता है।

यहा पर आने वाले सभी पर्यटको के लिए यह राज्य स्वर्ग के समान है। हिमाचल प्रदेश क्षेत्रफल के अनुसार और स्थापना के अनुसार भारत देश का 18वां राज्य है।

यह राज्य भारत देश के उत्तर-पश्चिम मे स्थित एक राज्य है। देखा जाए तो हिमाचल प्रदेश की सीमा मे उत्तर मे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दक्षिण-पश्चिम मे हरियाणा और उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व मे उत्तराखंड, पूर्व मे तिब्बत(चीन) और पश्चिम मे पंजाब स्थित है।

हिमाचल प्रदेश राज्य के बारे में महत्व की जानकारी।
हिमाचल प्रदेश राज्य के बारे में महत्व की जानकारी।

हिमाचल प्रदेश के सामान्य तथ्य :

  • स्थापना दिवस : 25 जनवरी 1971
  • राजधानी : शिमला, धर्मशाला(दूसरी राजधानी)
  • कुल जिले : 12
  • सब से बड़ा शहर : शिमला   
  • कुल क्षेत्रफल :  55,673 वर्ग किलोमीटर
  • प्रथम मुख्य मंत्री : डॉ. यशवंत सिंह परमार
  • राजकीयभाषा : हिन्दी, कंगेरी, लाहौली  
  • राजकीयपक्षी : मोनाल  (पश्चिमी ट्रोपोपन)
  • राजकीय पशु :  कस्तुरी मृग
  • राजकीय पेड़ :  देवदार
  • राजकीय फूल :  कमल
  • हिमाचल प्रदेश की सीमा : जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तिब्बत 
  • प्रमुख नदी : कालिंदी नदी, सतलुज नदी, ब्यास नदी, रावी नदी, चिनाव नदी
  • जनसंख्या : 68,64,602 (2011 की जनगणना के आधार पर)
  • साक्षरता दर : 83.78% (2011 की जनगणना के आधार पर)
  • प्रमुख कृषि उद्योग : चावल, गेहूं, मक्का, चाय, गन्ना, जौ   
  • पर्यटक स्थल : मनाली, शिमला, स्टेट म्यूजियम, चंबा घाटी, डलहौजी, धर्मशाला, कुफ़री, कुल्लू।
  • मुख्य नृत्य : थाली, धमाल, नाटी, घूघटी, कड़थी, बिड़सु

हिमाचल प्रदेश का इतिहास क्या है ?

इस राज्य का इतिहास मानव अस्तित्व के जितना ही पुराना है। प्राचीन काल मे इस प्रदेश के आदि निवासी मे दस्यु, निषाद और दास के नाम से पहचाने जाते थे।

मुग़ल शासको ने हिमाचल प्रदेश की भूमि की प्रशंसा के रूप मे कला के असंख्य कार्यो को स्थापित किया था।

इस राज्य का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के समय से चला आ रहा है। उस समय हिमाचल मे कोल, किन्नर, खश और नाग जाति निवास करती थी। कोल जाति को दस, दस्यु आदि नाम से भी जाना जाता था।  

प्राचीन समय मे स्कन्द पुराण, विष्णु पुराण, मार्कन्डेय पुराण आदि साहित्यिक पुराणों मे हमे हिमाचल प्रदेश का उल्लेख जानने को मिलता है, इस के अलावा रामायण और महाभारत मे भी हिमालय मे निवास करने वाली जातियो का वर्णन मिलता है।  

883 ई. मे कश्मीर के राजा शंकर वर्मा ने हिमाचल प्रदेश पर अपना आधिपत्य जमाया था। इस के बाद 1009 ई. मे हिमाचल प्रदेश महमूद गजनी के आक्रमण का साक्षी भी बना था।  

संसार चंद के नेतृत्व मे सन 1773 मे राजपूतो ने इस क्षेत्र को अपनाया था, फिर  सन 1804 मे महाराजा रणजीत सिह जो पंजाब प्रांत के राजा थे, उन्होने राजपूत शक्ति को आक्रमण कर के खत्म कर दिया था और यहा के कुछ क्षेत्र को अपने राज्य मे शामिल कर दिया।

19 वीं शताब्दी के दौरान जब अंग्रेज़ यहा आए तो उन्होने अपने प्रभाव का प्रयोग करते हुए सन 1815-16 मे गुरखा लोगो को युद्ध मे पराजित करने के बाद हिमाचल प्रदेश के शिमला के क्षेत्र को मिला दिया और कई राजाओ की रियासतो  को अपने साम्राज्य मे सामील कर दिया था।

आज़ादी के वर्ष मे जनवरी, 1947 मे राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता मे शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई।

फिर आजादी के बाद जनवरी 1948 मे इसका सम्मेलन सोलन जो हिमाचल का एक जिला है, वहा पर हुआ। इस राज्य के निर्माण की घोषणा भी इसी सम्मेलन मे ही की गई।

25 जनवरी 1971 मे हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया। और नवंबर 1972 को कांगड़ा जिले के तीन जिले कांगड़ा, हमीरपुर और ऊना बनाए गए, महासू जिले के क्षेत्र मे से सोलन जिला बनाया गया।  

राज्य ‘हिमाचल प्रदेश’ का भूगोल क्या है ?

हिमाचल यानि ‘बर्फ से ढके पहाड़ो के बीच स्थित भूमि’। यह हिमाचल प्रदेश हिमालय पर्वत की शिवालिक श्रेणी का एक हिस्सा है।

यह राज्य भारत के क्षेत्रफल का 1.7% है। इस राज्य का उत्तरी अक्षांश 33022 से 33012 तक फेला हुआ है, और पूर्वी देशांतर 75047 से 7904 तक का है। इस राज्य की सीमा 1170 किलोमीटर की है।

इस राज्य की सीमा मे उत्तर मे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, दक्षिण-पश्चिम मे हरियाणा और उत्तर प्रदेश, दक्षिण-पूर्व मे उत्तराखंड, पूर्व मे तिब्बत(चीन) और पश्चिम मे पंजाब स्थित है।

यहा पहाड़ो और ऊंची चोटियों का क्षेत्र है, इन चोटियों की ऊंचाई समुद्र तल से 350 मीटर से सात हजार के बीच मे पाई जाती है।

यहा पर मुख्य पर्वत श्रुंखलाओ मे बृहत हिमालय, लघु हिमालय जिसे हिमाचल मे धौलाधार कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण मे फैली शिवालिक श्रेणी स्थित है।

धौलाधार की पर्वतमाला अति सुंदर है। यह पर्वतमाला हिमालय के मध्य भाग मे स्थित है, जो हिमाचल के पश्चिम दिशा मे चंबा जिले से शुरू होता है और पूर्व मे किन्नौर जिले से गुजर कर उत्तराखंड से हो कर असम तक फैली हुई है।

शिवालिक श्रेणी जिसे बाह्य हिमालय भी कहा जाता है। हिमालय पर्वत का सबसे दक्षिणी तथा भौगोलिक रूप से युवा भाग है, जो पश्चिम से पूरब तक फैला हुआ है।

यह श्रेणी हिमालय पर्वत प्रणाली के दक्षिणतम और भूगर्भ शास्त्रीय द्रष्टि से कनिष्टतम पर्वतमाला कड़ी है। इस की ऊंचाई 850-1200 मीटर की है। इसकी कई उपश्रेणीया भी है।

लघु हिमालय मे 1000 से 2000 मीटर ऊंचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रह चुके है।  

नदियां

हिमाचल मे बहने वाली नदियों के स्रोत बर्फ से ढकी पहाड़ियों मे स्थित है। यहा पर प्रवाहित होने वाली नदियों का उल्लेख ऋग्वेद मे भी मिलता है, लेकिन उस समय वह अन्य नामो से जानी जाती थी, जो निम्न लिखित है।

ब्यास नदी प्राचीन समय मे यह नदी आर्जिकीया एवं विपाशा नाम से जानी जाती थी। इस नदी की कुल लंबाई 460 किलोमीटर है और हिमाचल मे इस नदी की लंबाई 260 किलोमीटर है।

यह नदी कुल्लू मे व्यास कुंड से निकलती है, यह व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत श्रुंखला मे स्थित रोहतांग दर्रे मे है।

रावी नदी का प्राचीन नाम परोष्णि एवं इरावती है। यह नदी बहुत ही उग्र नदी है। रावी नदी मध्य हिमालय की धौलाधार श्रुंखला की शाखा बड़ा भंगाल से निकलती है।

इस नदी की कुल लंबाई 720 किलोमीटर है और हिमाचल मे इस की लंबाई 158 किलोमीटर है।

चिनाव नदी का वैदिक नाम अरिकरी है। यह नदी जम्मू-कश्मीर से प्रवाहित हो कर पंजाब राज्य मे प्रवाहित होती है। इस नदी को हिमाचल से भी अद्भुत माना गया है। पानी के घनत्व की द्रष्टि से यह नदी इस राज्य की सबसे बड़ी नदी है।

चिनाव नदी समुद्र तल से लगभग 4900 मीटर की ऊंचाई पर बारालाचा दर्रे के पास से निकलने वाली चंद्रा और भागा नदियों के तांदी नामक स्थान पर मिलने से बनती है।

हिमाचल प्रदेश मे डैम

भाखड़ा डैम जो बिलासपुर जिले मे सतलुज नदी पर बनाया गया है। जिसका मुख्य उद्देश सिंचाई और बिजली उद्पादन का है। इस डैम का निर्माण सन 1948 मे हुआ था और 1963 मे पूरा हुआ था।

पोंग डैम जिसका दूसरा नाम ब्यास डैम है। जो ब्यास नदी पर बनाया गया है। इस डैम की ऊंचाई 436 फिट है, और लंबाई 6,401 फिट है। पोंग डैम का उद्घाटन सन 1974 मे किया गया था। पोंग डैम हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान मे सिंचाई का पानी प्रदान करता है।

हिमाचल प्रदेश के विभिन्न फल

हिमाचल प्रदेश को प्रकृति ने व्यापक प्रमाण मे कृषि जलवायु परिस्थियाँ बक्सी है, जिससे यहा पर विविध जाती के फल उगाएँ जाते है। जैसे की सेब, बेर, नाशपाती, आम, लीची, अमरूद, आड़ू, खुमानी, झरबेरी आदि।  

Nice Days

हम भारत देश के निवासी हैं इसलिए हम अपने देश के बारे में जो भी जानकारी जानते हैं, वह सभी जानकारी जैसे की इतिहास, भूगोल, भारत के त्यौहार, आस्था आदि से जुडी जानकारी इस ब्लॉग में हिंदी भाषा में दी गई है।

Leave a Reply