नागालैंड का सामान्य परिचय:
नागालैंड भारत के उत्तर-पूर्व मे बसा एक छोटा सा राज्य है, जिसकी कुल आबादी सिर्फ 19 लाख के आसपास है। इस राज्य का ज़्यादातर हिस्सा पहाड़ियो और घने जंगलो से घिरा पड़ा है। नागालैंड मे कोई भी एक प्रकार की भाषा बोली नहीं जाती, जिसका कारण है, यहा पर 16 से भी अधिक जनजाति के लोग निवास करते है, जिसकी अपनी अलग-अलग भाषा होती है।
नागालैंड एक एसा राज्य है जहा पर सभी लोग विनम्रता से रहते है। यहा की प्राकृतिक सुंदरता के कारण नागालैंड को पूरब का स्विट्जरलेंड भी कहा जाता है। सांस्कृतिक विरासत से पूर्ण नागालैंड पर्यटको के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
नागालैंड की राजधानी कोहिमा है और यहा का सबसे बड़ा शहर दिमापुर है। दिमापुर एक मैदानी क्षेत्र है जो शहर के पूर्वी भाग धनसिरी नदी के गहरे मे स्थित है।
नागालैंड का पहनावा पूरे भारत देश के अन्य राज्यो से अलग माना जाता है, यहके नागरिक रंगबेरंगी चादर को कपड़ो की तरह पहनते है। और यहा के ज़्यादातर लोग अपने पैरो मे कडा पहनते है एसा माना जाता है की जिससे उन्हे पेड़ो पर चड़ने मे आसानी होती है।
इस राज्य की सीमा मे उत्तर-पश्चिम मे असम, पूर्व मे म्यांमार, उत्तर मे अरुणाचल प्रदेश और दक्षिण मे मणिपुर स्थित है।
नागालैंड के सामान्य तथ्य :
- स्थापना दिवस : 1 दिसंबर 1963
- राजधानी : कोहिमा
- कुल क्षेत्रफल : 16,579 वर्ग किलोमीटर
- कुल जिले : 12
- बड़ा शहर : दिमापुर
- प्रथम मुख्य मंत्री : पी. शैलुआ
- राजकीय भाषा : अंगामी, कोल्याक, अँग्रेजी
- राजकीय पक्षी : ब्लिथ ट्रैगोपान
- राजकीय पशु : मिथुन
- राजकीय पेड़ : अल्देर
- राजकीय फूल : कोपोऊ
- नागालैंड की सीमा : असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, म्यांमार (बर्मा)
- प्रमुख नदी : धनसिरी, दोयांग, चुबी, दिखू
- जनसंख्या : 19,80,602 (2011 की जनगणना के आधार पर)
- साक्षरता दर : 80% (2011 की जनगणना के आधार पर)
- प्रमुख कृषि उद्योग : ज्वार, चावल, मक्का, बाजरा, दाले, तंबाकू
- पर्यटक स्थल : दिमापुर, रंगापहार, घोसु पक्षी अभ्यारण, लोंगवा आदि।
- मुख्य नृत्य : चोंग, खेवा, बांस नृत्य
नागालैंड का इतिहास :
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी 19 वीं शताब्दी की शुरुआत मे आई, उस के बाद ब्रिटेन ने नागा हिल्स सहित पूरे दक्षिण एशिया मे अपने डोमेन का विस्तार किया।
1832 मे कैप्टन जेनकिंस और पेम्बर्टन मानक यूरोपियन आए जो पहाड़ियों मे प्रवेश करने वाले प्रथम यूरोपियन थे।
सन 1944 मे जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था, उस के दौरान नेताजी सुभाष चंद्र बॉस के नेतृत्व मे जापानी सेना के मदद से भारतीय राष्ट्रीय सेना ने बर्मा पर आक्रमण किया, और कोहिमा के रास्ते से भारत ले जाने का प्रयास किया।
जब 1947 मे भारत को आज़ादी मिली, तो उसके बाद नागा समुदाय के कुछ लोग जो असम के छोटे से एक हिस्से मे निवास कर रहे थे, उन्होने भी मजबूर राष्ट्रीय अभियान के माध्यम से नागा समुदाय के राजनैतिक संघ की मांग की गई।
इस अभियान मे कई सारी हिंसक गतिविधियों का सामना करना पड़ा। फिर सन 1957 मे नागा समुदाय के नेता और भारत सरकार के बीच सहमति बनाने के बाद असम के पहाड़ी क्षेत्र मे रहने वाले नागा समुदाय के लोगो को भारत सरकार के प्रशासन मे लाया गया।
और 1 दिसंबर 1963 को नागालैंड को भारत का 16 वां राज्य का दर्जा दिया गया।
नागालैंड का भूगोल :
नागालैंड भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है जिसका 20% हिस्सा घने जंगलो से घिरा पड़ा है।
नागालैंड पूर्वी देशांतर मे 930 20’ से 950 15’ देशांतर तक फेला है और उत्तरी अक्षांश मे 250 6’ से 270 4’ अक्षांश तक फेला राज्य है।
सरमाती पर्वत 3,840 मीटर की ऊंचाई पर सब से ऊंची चोटी है। नागालैंड के उत्तर मे दोयांग और दिफू और दक्षिण-पश्चिम मे बराक नदी जैसी नदियां प्रवाहित होती है।
नागालैंड के वनो मे पाम, बाँस, रतन और इमारती लकड़ी जैसे और महोगनी वन पाये जाते है। जब की कुछ वन के हिस्सो मे झूम खेती भी की जाती है।
नागालैंड मे मेजोर डैम
दोयांग डैम :
यह डैम दोयांग नदी पर बनाया गया है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की सहायक नदी है। और यह नागालैंड राज्य के वोखा शहर के पास स्थित है।
नागालैंड मे धर्म
नागालैंड मे सभी समुदाय के लोग मिल-झूल कर रहते है। यहा पर सब से अधिक ईसाई धर्म के लोग रहते है, जिसकी कुल संख्या 88.1 % है। इसके बाद हिन्दू धर्म के लोग आते है, जिसकी कुल आबादी 8.74 % है। मुस्लिम समुदाय के लोगो की कुल संख्या 2.44 % है, और अन्य समुदायो मे जैसे की जैन, बोद्ध, सीख आदि समुदायो की कुल संख्या 0.5 % है।
नागालैंड मे घूमने की जगहे :
नागालैंड भारत का एक एसा राज्य है, जहा पर जाने के लिए आपको वीज़ा की आवश्यकता पड़ती है। अगर आपके पास नागालैंड जाने का वीज़ा नहीं है तो आप वहा नहीं जा सकते है।
नागालैंड मे वैसे तो किसी भी समय जा शकते है लेकिन सबसे बेस्ट टाइम शरदियों का मौसम है, इसी समय मे कुदरती सुंदरता का आनंद अच्छे से ले शकते है।
दिमापुर :
नागालैंड जाने के लिए सबसे पहले दिमापुर जाना पड़ेगा। यहा का प्रमुख टुरिस्ट प्लेसिस मे दिमापुर का विशेष महत्व है। यहा पर कुदरती सुंदरता के साथ-साथ एतिहासिक जगहे भी देखने को मिलेंगे।
रंगापहार अभ्यारण:
यह प्रकृति प्रेमियो के लिए अच्छी जगह है। यह दिमापुर का राष्ट्रीय अभ्यारण है। यहा पर खूबसूरत पक्षियों को भी देख शकते है, जो इस जगह की खूबसूरती को ज्यादा बढ़ावा देता है।
कोहिमा :
कोहिमा इस राज्य का बहुत ही सुंदर शहर है। यहा पर दूसरे विश्व युद्ध मे मारे गए सैनिको के लिए एक स्मारक भी बनाया गया है, जिसे कोहिमा युद्ध स्मारक कहा जाता है।
इसके अलावा यहा पर कुदरती सुंदरता का भी आनंद उठा शकते है।
शिलोई लेक :
यह झील बहुत ही सुंदर झील है, जो पटकाई की पहाड़ियों के बीच स्थित है। इस झील को वहा के स्थानीय लोगो के द्वारा बहुत महत्व का माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार यहा पर एक बच्चे की पवित्र आत्मा इस झील मे रहती है।
लोंगवा :
लोंगवा नागालैंड के मोन जिले मे स्थित एक गाव और पर्यटक स्थल है। इसका आधा भाग भारत मे और आधा भाग म्यांमार मे है। यहा के लोगो को भारत और म्यांमार दोने देशो की नागरिकता प्राप्त है। यहा की सुंदरता आने वाले सभी पर्यटको को मंत्रमुग्ध कर देती है।
यहा पर बहती नदियां यहा की सुंदरता मे चार चाँद लगा देती है।
नागालैंड मे त्यौहार :
नागालैंड को त्यौहारो की भूमि यानि लेंड ऑफ फ़ेस्टिवल्स के नाम से भी जाना जाता है।
यहा पर वैसे तो बहुत सारे त्यौहार मनाए जाते है लेकिन होर्न्बिल्ल त्यौहार सबसे मशहूर है, जो यहा की कला, संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है। यह त्योहार सभी जनजातियों के द्वारा मिल कर मनाया जाता है।
इसके अलावा यहा पर तुलूनी त्यौहार, येम्शे त्यौहार, आमोंग्मोंग त्यौहार, सेकरेनयी त्यौहार आदि मनाए जाते है।